इस शहर से था रावण का अद्भुत रिश्ता, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Sunday, Oct 06, 2019 - 05:05 PM (IST)

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जैसे कि आप सब जानते हैं इस महीने की 8 तारीख यानि 8 अक्टूबर को देशभर में विजय दशमी का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्री राम ने लंका के राजा रावण को युद्ध में हराकर अपनी पत्नी माता सीता को उसके चंगुल से मुक्त करवाया था। यही कारण है कि इस दिन यानि दशहरे के दिन देशभर में जगह-जगह रावण के पुतले बनाकर जलाए जाते हैं और ये संदेश दिया जाता है कि प्राचीन काल से ही बुराई पर अच्छाई की जीत होती आ रही है और आगे भी ये परपंरा ऐसे ही चलती रहेगी।

अब आप लोगों ने ये तो देखा ही होगा कि रावण के पुतले को लगभग देश के हर हिस्से में इसके पुतलों को जलाया जाता है मगर क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा ही शहर है जिसका लंकापति रावण के साथ-साथ एक अनोखा व अद्भुत रिश्ता है। जी हां, इस रिश्ते का किस्सा इतना गहरा है और दिलचस्प है कि आप जाकर हैरान रह जाएंगे।

तो चलिए आपकी बेसब्री को और न बढ़ाते हुए आपको बताते हैं ये रोचक किस्सा-
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के मंदसौर की जिसे प्राचीन काल में दशपुर के नाम से जाना जाता था। प्राचीन साहित्य और कई अभिलेखों में दशपुर का उल्लेख भी है। इतना ही नहीं बल्कि मंदसौर के खानपुर में रावण की एक प्रतिमा भी स्थापित है जिसका इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है।

यहां की लोक मान्यताओं के अनुसार मंदसौर यानि दशपुर लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। जिस कारण यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं। और अब आप में से इस बात से तो कोई अंजान नहीं होगा कि भारत देश में दामाद की कितनी अहमियत है।

रावण की पूजा
जहां एक तरफ़ देशभर के विभिन्न हिस्सों में शारदीय नवरात्रि के समाप्ति के साथ दशमी को रावण का पुतला जलाकर बुराई का अंत किया जाता है। तो वहीं दूसरी ओर मंदसौर में रावण की साल के 365 दिन पूजा की जाती है। इसके पीछे का कारण हम आपको बता चुके हैं कि यहां आज भी लोग रावण को दामाद मानते हैं। कहते हैं यहां रावण की पूजा से संतान प्राप्ति होती है।

स्थापित है यहां 41 फीट ऊंची रावण की प्रतिमा
बता दें न केवल यहां रावण को पूज्नीय माना जाता है बल्कि यहां यानि मंदसौर के खानपुर में रावण की 41 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित है। बताया जाता है इस प्रतिमा का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है। क्योंकि यहां के लोग रावण की पत्नी मंदोदरी को बेटी मानते हैं इसलिए यहां रहने वाली महिलाएं जब रावण की प्रतिमा के सामने से गुजरती हैं घूंघट कर लेती हैं।

अनोखे अंदाज़ में मनाया जाता है यहां दशहरा
दशहरे के दिन सुबह पहले यहां के लोग ढोल-नगाड़ों के साथ रावण की प्रतिमा की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। फिर शाम में रावण का प्रतीकात्मक वध करते हैं। कहा जाता है रावण के वध उपरांत यहां की महिलाएं उसकी प्रतिमा पर प्रतिकात्मक तौर पर पत्थर भी मारती हैं।

Jyoti

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