15 एकड़ में फैले वनेश्वरी देवी मंदिर से जुड़ी है लाखों लोगों की आस्था
punjabkesari.in Tuesday, Oct 20, 2020 - 02:40 PM (IST)
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वन विभाग ने की मेहनत, लोगों की बड़ी आस्था
वनेश्चरी देवी में रहता है पक्षियों का झुंड, लोगों की आस्था
मंदिर में आए श्रद्धालु देते हैं कबूतरों को दाना
जन- जीवन, जंगल और वन देवी
नवरात्रि पर्व पर वन देवी की भक्ति
श्रद्धालु आस्था विश्वास और वन देवी शक्ति
हाथी पखना और वन पक्षी लोगों को करते हैं आकृषित
वन देवी मंदिर में श्रद्धालुओं कम कबूतर ज्यादा
धर्म डेस्क: नवरात्रि के पावन पर्व में देवी देवताओं के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति देखने को बनती हैं। एक ओर वैश्विक महामारी का दौर है तो दूसरी ओर उसके बाद भी भक्त अपनी भक्ति करने मंदिर पहुंचे रहे हैं। नवरात्रि के खास मौके पर हम आपको बताने वाले हैं छत्तीसगढ़ सरगुजा जिले के वनेश्वरी मंदिर के बार में, जो छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 15 एकड़ वनों से घिरा हुआ है। 15 एकड़ वनों से घिरा हुआ वनदेवी का ये मंदिर में लाखों हीं श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और उनके पूरा हो जाने माता रानी को भेंट चढ़ाते हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार वन देवी की उत्पत्ति आकस्मिक हुई थी।
बताया जाता है वनदेवी मंदिर में हाथी नुमा विशाल पत्थर है जिसे हाथी पखना के नाम से जाना जाता है। पत्थरों से निकली हुई वन देवी की प्रतिमा में लोगों की आस्था है। जिसके कारण हर साल नवरात्र में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। परंतु वैश्विक महामारी के चलते इस साल यहां लोगों की भीड़ तो कम है। लेकिन इसके बावज़ूद लोगों की श्रद्धा और आस्था वनदेवी मंदिर में देखने को बनती है।
कहा जाता है वन देवी मंदिर को फिर से पहचान देने के लिए वन विभाग ने अवैध लकड़ी की कटाई पर रोक लगाई थी और 15 एकड़ के मैदान में वृक्षारोपण कराकर वन तैयार कर दिया। जिसके कारण आज शहरी और ग्रामीणों क्षेत्रों के भक्तों का यहां आना-जाना लगा रहता है।यहां आने वाल प्रत्येक व्यक्ति हरे भरे लहलहाते पेड़ों को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। तो वहीं यहां की प्रचलित एक मान्यता के अनुसार यहां रहने वाले कबूतर शांति, समृद्धि और धन का प्रतीक माना जाता है। गौरतलब है कि यहां 7 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष लगाने में अधिक पुण्य की प्राप्ति मिलती है।
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