उज्जैन सिंहस्थ: PM मोदी बोले-दुनिया समझे जो भाषा, उसी में समझानी होगी अपनी बात

Saturday, May 14, 2016 - 03:39 PM (IST)

उज्जैन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश की सदियों पुरानी विरासत को दुनिया भर में सही तरीके से पहुंचाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि हमें दुनिया जो भाषा समझती है, उसी में अपनी बात रखनी होगी। मोदी ने आज मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ के दौरान आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विचार महाकुंभ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि हम हमारे देश की ठीक से ब्रांडिंग नहीं कर पाते, हमने इतने विशाल आयोजन कुंभ की पहचान सिर्फ नागा साधु बना दिए हैं, क्या हम दुनिया को ये नहीं बता सकते कि हमारे देश के लोगों की कितनी बडी आयोजन क्षमता है।

कुंभ के मेलों को ‘केस-स्टडी’ के तौर पर लें
उन्होंने कहा कि हर बार कुंभ के मेलों में क्षिप्रा और गंगा नदी के किनारे एक देश की आबादी जितने लोग एकत्रित होते हैं, लेकिन क्या देश-विदेश से आने वाले इन लोगों को कोई आमंत्रण देता है। लगभग 40 मिनट के अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि वे दुनिया के बडे-बडे विश्वविद्यालयों में जाकर वहां आग्रह करते हैं कि वहां के शोधार्थी कुंभ के मेलों को ‘केस-स्टडी’ के तौर पर लें, भारत का चुनाव भी देश-दुनिया में प्रबंधन विषय के लोगों के शोध के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। अपनी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया यही भाषा समझती है और इसलिए हमें उसे इसी भाषा में अपनी बात समझानी होगी, तभी सदियों पुरानी हमारी विरासत वहां पहुंच सकती है।

साधु-संतों से मोदी ने की यह अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंहस्थ में आए देश भर के साधु-संतों से आग्रह किया कि वे कुंभ के मेलों की सदियों पुरानी विचार-विमर्श की परंपरा को फिर जीवित कर दें।  प्रधानमंत्री ने आज सिंहस्थ में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विचार महाकुंभ के समापन समारोह में तीन दिवसीय इस आयोजन से निकले सार्वभौम संदेश को जारी किया।

इस मौके पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना समेत देश के बहुत से प्रमुख संत भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद संतों को संबोधित करते हुए निवेदन किया कि वे यहां से जाने के बाद हर साल अपने भक्तों के साथ एक सप्ताह का विचार कार्यक्रम आयोजित करें। मोदी ने संतों से अपील की कि इस कार्यक्रम में मोक्ष की बातों के साथ नदियों को स्वच्छ रखने की प्रेरणा, बेटी का गौरव बढाने और नारी का सम्मान करने जैसी बातों को शामिल करें। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में देश-विदेश के ज्ञानी-विज्ञानियों को बुला कर चिंतन भी कराया जाए, इससे विचार-मंथन की प्रक्रिया तेज होगी।


आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन गंभीर संकट

मोदी ने आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन को विश्व के समक्ष मौजूदा समय का सबसे बड़ा संकट करार देते हुए कहा कि इसके समाधान के लिए विस्तारवादी नीति को छोडऩा आवश्यक है। मोदी ने विचार महाकुंभ के समापन समारोह के दौरान 51 सूत्रीय घोषणापत्र जारी करते हुए आज यह भरोसा दिलाया कि ये बिन्दु विश्व के समक्ष मौजूद तमाम संकटों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा कि भारत पहले ही विविधताओं वाला देश है और इसकी वजह से दुनिया को यहां टकराव की स्थिति भी नजर आती है लेकिन हम इसमें भी अच्छाई ढूंढ लेेते हैं। हम पिता की आज्ञा मानने वाले राम का भी आदर करते हैं। पति के साथ वनगमन करने वाली सीता का भी आदर करते हैं और पति की अवाज्ञा करने वाली मीरा का भी आदर करते हैं।

मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया पृथ्वी दिवस मनाने चली है लेकिन हमारे पूर्वजों ने हमें चांद को मामा और सूरज को दादा कहना सिखाया। उन्होंने संतों से अपील की कि वह साल में कम से कम एक बार विशेषग्यों के साथ धरती ,बेटी, कृषि ,स्वच्छता जैसे मुद्दों पर विचार मंथन करें।

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