बेटे को फौजी पिता की कमी महसूस न हो इसलिए मां ने ज्वाइन की आर्मी

Friday, Sep 23, 2016 - 11:21 AM (IST)

भोपाल: बेटा अपने पिता की कमी महसूस न करे इसलिए मां ने आर्मी ज्वाइन करने की सोची और आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद निधि ने इस साल एसएसबी क्लियर कर लिया है। अक्तूबर में वह ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी ज्वाइन करने वाली है। सागर (मध्यप्रदेश) की रहने वाली निधि के बेटे के जन्म से पांच माह पहले ही उनके फौजी पति की मौत हो गई। बेटा फौजी पिता को कभी देख नहीं पाया था इसलिए उसकी कमी को पूरा करने के लिए खुद ही फौज में जाने की सोची। निधि के लिए यहां तक का सफर इतना आसान नहीं था। एक तो बेटा छोटा और दूसरा ससुरालवालों ने उससे मुंह मोड़ लिया था। शादी के एक साल बाद ही निधि के पति मुकेश कुमार दुबे की कार्डियक से मौत हो गई थी। ससुरालवालों ने भी पति की मौत के दो दिन बाद ही गर्भावस्था की हालत में निधि को घर से निकाल दिया। निधि इन झटकों को सहन नहीं कर पाई और डिप्रेशन में आ गई लेकिन निधि के माता-पिता और भाई ने हमेशा उसका साथ दिया और बेटी को अपने पास रखा।

बेटे के जन्म के बाद निधि ने एक बार फिर खुद को दोबारा खड़ा किया और आगे कुछ करने की सोची। निधि ने फिर से पढ़ाई शुरू की, फिजीकल ट्रेनिंग पर ध्यान दिया। एसएसबी की तैयारी में वह जुट गई। निधि सुबह 4 बजे उठकर 5 किमी दौड़ती फिर घर लौटकर बेटे सुयश को स्कूल के लिए तैयार करती उसे छोड़कर आती, वापिस दोपहर को स्कूल से लाती, शाम को उसको पढ़कर और रात का काना खिलाकर उसके सोने के बाद ही खुद पढ़ाई करती। बकौल निधि यह सबकुछ आसान नहीं था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी जंग जारी रखी। 2013 में निधि ने एचआर मैनेजमेंट में एमबीए किया। डेढ़ साल तक एक कंपनी में जॉब भी की औऱ इसके बाद एसएसबी की तैयारी शुरू कर दी।

जिस महार रेजीमेंट में पति पोस्टेड थे, वहीं ब्रिगेडियर रेड्‌डी और कर्नल एमपी सिंह के सहयोग से एसएसबी की क्लासेज लेनी शुरू की। परिवार को चलाना था इसलिए उन्होंने मध्यप्रदेश में ही आर्मी स्कूल में टीचर की जॉब शुरू कर दी, यही बेटे को भी एडमिशन दिला दिया। जून 2014 में वह एसएसबी के पहले अटैम्पड में लास्ट राउंड तक पहुंची। तीसरे और चौथे प्रयास में कॉन्फ्रेंस राउंड तक पहुंची लेकिन बाहर हो गई। मई 2016 में आखिरी मौका था। तभी उनकी मुलाकात भोपाल में रिटायर्ड ब्रिगेडियर आर.विनायक और उनकी पत्नी डॉ. जयलक्ष्मी से हुई।

उन्होंने ने निधि को बताया कि डिफेंस पर्सन जिनकी मृत्यु हो गई हो, उनकी पत्नी के लिए एसएसबी में वैकेंसी होती है औऱ आखिरकार पांचवें प्रयास में निधि ने एसएसबी क्लीयर कर लियाव फिजिकल में भी पास हो गई। इसी टेस्ट में शहीद कर्नल संतोष महाडिक की पत्नी स्वाति भी पास हो गई। चूंकि सीट सिर्फ एक थी, इसलिए कोई एक ही आगे जा सकता था लेकिन निधि ने और रिटायर्ड ब्रिगेडियर विनायक ने आर्मी हैडक्वार्टर और रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखे। सेना ने निधि और स्वाति की परफॉर्मेंस को देखते हुए वैकेंसी दो कर दी और 31 अगस्त 2016 को आए रिजल्ट में मेरा और स्वाति, दोनों का चयन हो गया। निधि काफी खुश है कि उसकी मेहनत रंग लाई और अब उनका बेटा देख सकेगा कि उसके पिता कैसे देश की सेवा करते थे।

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