दिवाली के बाद यहां खेला जाता है ऐसा खेल देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Tuesday, Oct 29, 2019 - 03:24 PM (IST)

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प्रत्येक वर्ष इन्दौर से 55 कि.मी. दूर गौतमपुरा  में दीपावली के एक दिन बाद (पड़वा) के रोज खेला जाने वाला पारंपरिक 'युद्ध' होता है, जिसे हिंगोट युद्ध कहा जाता है। इस युद्ध में प्रयोग होने वाला 'हथियार' हिंगोट है जो हिंगोट फल के खोल में बारूद, भरकर बनाया जाता है। बताया जाता है इस युद्ध में दो दल आमने सामने होते हैं एक तरफ़ तुर्रा दल तो दूसरी ओर कलंकी दल होता है। इस युद्ध में किसी दल की हार-जीत नहीं होती किंतु सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं इतना ही नहीं बल्कि इस युद्ध में कई लोग तक अपने जान तक के हाथ खो चुके हैं।

बेटमा से पंजाब केसरी के निर्मल पेरुलिया की रिपोर्ट के अनुसार इस युद्द में शामिल होने वाले योद्धा दीपावली के कई महीनें पहले ही इसकी तैयारी कर देते हैं। बता दें हिंगोट चम्बल नदी के आस पास के इलाकों में मिलता है, जो एक निम्बू के आकार जितना बड़ा फल है। नारियल की तरह हिंगोट बाहर से सख्त ओर अंदर से गुद्दे वाला होता है।

दीपावली के अगले दिन सुबह से ही यहां आस-पास के गांव से लेकर दूर-दूर से आए दर्शकों का जमावड़ा लग जाता है। शाम के 4 बजते ही योद्धा अपने घरों से बाहर आते हैं और अपने दल के साथ ढोल ढमाकों से नाचते गाते युद्ध मैदान की ओर बढते हैं।

बताया जाता है युद्ध शुरू होने से पहले दोनों दल के योद्धा अति प्राचीन भगवान विष्णु के अवतार श्री देवनारायण का आशीर्वाद लेते हैं एवं दोनों दल आपस में गले लगते हैं और फिर युद्ध समाप्त होने के बाद दूसरे दल के किसी योद्धा को चोट लगने पर उसके घर जाकर उसे गले लगा कर आपसी भाईचारा बढ़ाते हैं। इस युद्ध में योद्धा अपने हाथों में लोहे का मज़बूत ढाल व सर पर साफा बांधते हैं। अपने हिंगोट को वो सूती कपड़े से बने एक झोले में रखते हैं। माना जाता है यहां होने वाला हिंगोट नामक ये युद्ध काफी पुराना पारंपरिक है।

Jyoti

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