मात्र 48 घंटों के लिए खुलता है यह मंदिर, साल में 1 बार होते हैं भगवान अजयपाल के दर्शन

Sunday, Jan 19, 2020 - 03:50 PM (IST)

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मध्य प्रेदश (राजेश चौरसिया)- पन्ना जिले के अजयगढ़ तहसील में मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में अजयगढ़ के किले में भगवान अजयपाल की मूर्ति साल में एक बार ही निकाली जाती है ।जो हर साल की भांति इस साल भी मकर संक्रांति में निकाली गई। इसके दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। किले के नीचे प्राचीन जमाने से चला आ रहा इतिहासिक मेला भी लगाया जाता है, जिसमें आसपास के ग्रामीणों सहित दूरदराज से लोग आते हैं। लोगों का मानना है कि अजय पाल की यह मूर्ति तांत्रिक बाबा की मूर्ति है।

ये चट्टानों के मुश्किल रास्तों में जगह बनाते भागते श्रद्धालु और मंदिर की पथरीली राह से लेकर दरवाज़े तक उमड़ता जनसैलाब, क्योंकि ये देवता कुल 48 घंटे ही दर्शन देंगे। जी हां, केवल 48 घंटे ही खुले हैं मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान के यह पट इस मंदिर के लिए यह मान्यता है कि यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है वशर्ते देवता के सामने खड़े होकर यह मुराद मांगी जाए लिहाजा इस भीड़ में ज्यादा तादाद उन्हीं भक्तों की है। जो अपनी आस लिए यहां दौड़े चले आए हैं और शामिल वो भी हैं जो बीते साल ठीक इसी दिन अपनी मन्नत मांगने आए थे और अब भोग प्रसाद के साथ भगवान को धन्यवाद दे रहे हैं। इतना ही नहीं यहां कई किसान ऐसे भी आते हैं जो अपने पशुओं का उपचार भी करवाते हैं। इस मंदिर में ऐसी मान्यता भी है कि यहां के एकमात्र कंकड़ को यदि पशु चिकित्सालय में रख दिया जाए तो वहां पर पशुओं की बीमारियां दूर हो जाती हैं।

इस मंदिर की अनोखे खजाने के बारे में समझें उसके पहले इस मंदिर का इतिहास भी जान लीजिए यूं तो पूरा पन्ना जिला ही ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ है लेकिन पन्ना जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर बसा है ये अजयपाल का किला, किले का इतिहास कहता है कि यह 2 हज़ार ईसा पूर्व चंदेल वंश के राजाओं के दौर किला है। इस किले को लेकर कई किस्से कहानियां है कहा यह भी जाता है कि औरंगजेब जब यहां आया तो उन्होंने किले में छुपे खजाने का पता करने के लिए इस मंदिर की मूर्ति को तोड़ने की कोशिश की परंतु लेकिन तब मूर्ति पानी के कुंड में जाकर विलुप्त हो तब से ही होती और किले का खजाना दुनिया के लिए रहस्य बन गया।

चंदेल राजाओं के इतिहास का बड़ा हिस्सा इसी किले के इर्द-गिर्द रहा है। किले में हर तरफ चंदेल राजाओं के सुनहरे दौर के अवशेष दिखाई देते हैं। चंदेलों के 8 ऐतिहासिक किलों में से एक है अजय गढ़ का यह ऐतिहासिक किला।

इस दुर्लभ किले में अनेक ऐतिहासिक ऐसी मूर्तियां हैं, जिनमें कार्तिकेय गणेश जैन तीर्थंकरों के आसन है। वात्सल्य की भी एक मूर्ति है दूर से देखिए तो खजुराहो व अजय पाल का किला एक ही वास्तुकार के हाथों का करिश्मा है और ये वो शिलालेख है जिस पर अजयपाल के इस किले का रहस्य छिपा हुआ है। इस बीजक में ताला चाबी की आकृति भी बनी है लेकिन अब तक कोई भी इस लिपि को पढ़ नहीं पाया लिहाजा खजाने का यह रहस्य, रहस्य ही बना हुआ है।

इन पत्थरों में इतिहास ही दर्ज नहीं है। इन पत्थरों में चंदेल राजाओं के सुनहरे इतिहास का खजाना भी है लेकिन कई सवालों के साथ, क्योंकि पूरे साल भर में यह मंदिर केवल 48 घंटे को ही खुलता है। दीवार पर लिखी खजाने के रहस्य की यह इबारत अब तक कोई क्यों नहीं पढ़ पाया। इस खबर में यही सवाल आता है ऐसा क्या है इस मढ़िया में कि लोगों की आस्था आज तक अविश्वास में नहीं बदली तमाम जो कहते हैं कि वाकई अजब-गजब अजयपाल का ये किला।

 

Jyoti

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