लुधियाना की 20 फर्नेस इकाइयां GST विभाग की राडार पर

punjabkesari.in Tuesday, Feb 13, 2018 - 09:12 AM (IST)

लुधियानाः जी.एस.टी. विभाग ने पिछले दिनों जो छापेमारी की है उसके आधार पर लुधियाना की 20 प्रमुख फर्नेस इकाइयां उसकी राडार पर आ गई हैं। इन्होंने जाली बिल पर स्क्रैप की परचेज की हुई है। इसकी जांच में विभाग जुट गया है और उन्हें एक-एक बिल पर स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस तैयार करने शुरू कर दिए हैं।

जी.एस.टी. बिल घोटाला दलदल की तरह हो गया है। इसकी जांच में विभाग जितना अंदर जा रहा है उसे आगे ही आगे घोटालों के कई रास्ते मिलते जा रहे हैं। जिन लोगों से फर्नेस इकाइयों ने बिल खरीदे हैं, उन्होंने माल किसी और को बेचा और बिल किसी और को दिए हैं, यानी मूवमैंट ऑफ  गुड्स का कोई सबूत नहीं है। फर्नेस इकाइयों ने भी इन बिलों को आगे 10 प्रतिशत कीमत पर स्टील मिलों को बेचा है। स्टील मिलों ने भी इन बिलों को ट्रेडर्स को बेचा। स्क्रैप पर 18 फीसदी जी.एस.टी. है।

जांच में पता चला है कि जिन लोगों से फर्नेस इकाइयों ने बिल खरीदे हैं, उन्होंने इन्हें 2 से 4 प्रतिशत की दर पर बेचा है। इन बिलों की खरीद-फरोख्त करोड़ों रुपए में हुई है। जी.एस.टी. नियम के मुताबिक फर्नेस इकाइयों ने बिल पर जो माल खरीदा होता है उसका बिल वहीं खत्म हो जाता है, क्योंकि उस बिल को किताबों में उत्पादन की लागत में दिखाना होता है। आगे स्क्रैप से जब इंगट बनाकर बेचा जाता है तो फर्नेस इकाइयां स्टील मिलों को नया बिल बनाकर देती हैं।जांच में यह भी सामने आया है कि फर्नेस इकाइयों ने जो बिल खरीदे थे, उन्हें उत्पादन लागत में दिखाने की बजाय आगे मिलों को बेच दिया गया। इस खेल में फर्नेस इकाइयों ने बिल बेचने वालों से भी ज्यादा कमाई की है। इस सारे चेन सिस्टम तक पहुंचने में विभाग हरकत में है। बता दें कि गत माह सैंट्रल एक्साइज ने मंडी गोबिंदगढ़ में एक बिल बेचने वाले को काबू किया था। उसने विभाग को सारी जानकारी दी कि उसने किस फर्नेस इकाई को बिल बेचे। उसके आधार पर अधिकारी फर्नेस इकाइयों में जैसे ही गए, सबने अपने आप टैक्स चोरी के चैक काट कर सैंट्रल एक्साइज को दे दिए। हालांकि यह मामला वैट के दौरान सैंट्रल एक्साइज से संबंधित था परंतु अब यही खेल जी.एस.टी. में खेला जा रहा है।

मंडी में 6 ग्रुप अरबों में बेच रहे हैं बिल 
मंडी गोबिंदगढ़ में 6 ऐसे ग्रुप है जो अरबों रुपए के जाली बिलों का खेल खेल रहे हैं। इन पर हाथ डालने में विभाग भी डरता है। ये लोग दावा करते हैं कि पुलिस और विभागीय अधिकारी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। 


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