दुनिया भर में बहुत पसंद किया जाता है यह अनूठा खेल (तस्वीरों में देखें)

Wednesday, Mar 23, 2016 - 12:22 PM (IST)

बबल बॉल तेजी से लोकप्रिय हो रहा एक बेहद अनूठा व नया खेल है। दुनिया भर में इसे पसंद किया जा रहा है। यह एक तरह से फुटबॉल का ही बदला हुआ रूप है, फर्क इतना है कि इसमें खिलाड़ी एक विशाल पारदर्शी गेंद में ‘कैद’ होकर खेलते हैं। 

 

विशाल गेंदों के बीचों-बीच एक बड़ा छेद होता है। इनमें से सिर तथा शरीर के ऊपरी हिस्से को घुसाना कुछ जटिल हो सकता है। इसमें घुसने में सहायता के लिए दो हैंडल लगे होते हैं जिनकी मदद से इन्हें सिर की ओर से अपने पर डाला जाता है जब तक कि यह खिलाड़ी की जांघों तक न पहुंच जाए। 

 

खेल खेलने का तरीका भी बहुत कुछ फुटबॉल जैसा ही है जिसमें दो टीमें दूसरे के गोल में गेंद डालने का प्रयास करती हैं। बबल गेम नॉर्वे में ईजाद हुआ था जो अब यूरोप तथा उत्तरी अमरीका तक लोकप्रिय हो चुका है। जर्मनी की यूनाबॉल जैसी कपनियां इसके लिए विशाल पारदर्शी गेंदें तैयार करने लगी हैं। जर्मनी के गेलसेनकिर्चेन में यह खेल करीब 1 वर्ष पूर्व पहुंचा। 2015 की शुरूआत में इस खेल के लिए यहां दूसरा मैदान खोला गया। 

 

बबल बॉल आमतौर पर सदयों में ज्यादा खेला जाता है जब स्कूल वालों से लेकर कपनी वाले, दोस्तों के समूह आदि इस खेल के लिए मैदान तथा विशाल पारदर्शी गेंदें बुक करवाते हैं।

 

गेलसेनकिर्चेन स्थित मैदान में हाल ही में 8 युवतियों ने इस नए खेल का आनंद लिया। उनकी एक टीम की गेंदों में लाल जबकि दूसरी की गेंदों में नीले रंग के निशान लगे हैं ताकि खिलाडिय़ों को अपने व विरोधी टीम के खिलाड़ी की आसानी से पहचान हो सके, साथ ही दर्शकों को भी दोनों टीमों के खिलाडिय़ों में अंतर पता चल सके। 

 

बड़ी-बड़ी पारदर्शी गेंदों में एक तरह के बंद होकर वे एक-दूसरे से टकरा कर गेंद छीनने व दूसरे के गोल में गेंद डालने का प्रयास करते हुए सबका ध्यान आकर्षित करती हैं। उन्हें देख कर कुछ लोगों को हंसी भी आ सकती है क्योंकि वे कोई अजीब-सी कॉस्ट्यूम पहने प्रतीत होती हैं। मैदान पर वे गेंद के पीछे भागती हुई और एक-दूसरे से टकराती हुई तो और भी अनाड़ी-सी प्रतीत होती हैं।

 

किनारे खड़ी उनकी तस्वीरें खींच रही उनकी एक सहेली के अनुसार यह सब बहुत बचकाना लगता है लेकिन है बड़ा मजेदार। शायद यही वजह है कि इस खेल को खेलने वालों को इस बात की ज्यादा परवाह प्रतीत नहीं होती कि कौन-सी टीम अधिक गोल दागती है। वे तो बस इस खेल का आनंद लेना चाहते हैं। वैसे भी इस खेल का असली मकसद भी शायद मौज-मस्ती ही है। 

 

10 मिनट के खेल के बाद ही लड़कियां काफी थक जाती हैं और उन्हें ब्रेक लेना पड़ता है। खेल रही एक युवती के अनुसार यह एक थकाने वाला खेल है और गेंदों के भीतर गर्मी भी बहुत लगती है। इनमें भागते वक्त तो सच में सांस लेना कठिन हो जाता है। 

जर्मनी की बबल फुटबॉल एसोसिएशन इसे पेशेवर रूप देने का प्रयास कर रही है। अभी इस खेल को किसी तरह की मान्यता न मिली हो पर कई जर्मन राज्यों में इसकी प्रतियोगिताएं आयोजित होने लगी हैं। इतना ही नहीं, अगले वर्ष एशिया में 24 देशों की टीमें बबल फुटबॉल वल्र्ड कप में हिस्सा लेंगे।

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