हिस्टीरिया : कुंवारी लड़कियां घरेलु नुस्खों से करें इस रोग का निदान

punjabkesari.in Wednesday, Jan 21, 2015 - 11:28 AM (IST)

हिस्टीरिया क्या है : यह रोग प्राय: अविवाहित स्त्रियों एवं लड़कियों को अधिक होता है। आयुर्वेद में इसे ‘योषापस्मार’ कहा जाता है। अपस्मार मिर्गी का द्योतक है। इस रोग से मिर्गी के समान दौरे पड़ते हैं।

हिस्टीरिया के कारण 

किसी कारण से मन में उत्पन्न भय, प्रेम में असफलता, काम वासना में अतृप्ति, प्रेमी से बिछुडऩा, शारीरिक मानसिक श्रम न करना, आराम पसंद जीवन बिताना, अत्यंत भोग-विलास का जीवन जीना, अश्लील साहित्य पढऩा, उत्तेजक दृश्य या फिल्में देखना, श्वेत प्रदर की शिकायत, बांझपन, डिंबाशय व जरायु रोग, नाडिय़ों की कमजोरी, आकस्मिक मानसिक आघात, मासिक धर्म का अकारण रुकना, परिवार में तालमेल न बैठना, चिंता, भय, शोक, तनाव, अधिक भावुक प्रवृत्ति, उचित आयु में विवाह का न होना, असुरक्षा की भावना, किसी पाप का भय आदि इसके कारण होते हैं।

हिस्टीरिया रोग के लक्षण 

इस रोग के लक्षणों में रोगिणी को दौरा पडऩे के पूर्व आभास होने लगता है परंतु दौरा पडऩे के पश्चात होश नहीं रहता। बेहोशी का दौरा 24 से 48  घंटों तक रह सकता है। इस दौरान झटके आते हैं, मुट्ठी बंध जाती है, दांत भिंच जाते हैं, कंककंपी होती है, सांस लेने में अड़चन, सांस रुकने आदि के लक्षण होते हैं।

हिस्टीरिया रोगी का आहार  

- गाय का दूध, नारियल का पानी, मठा या छाछ पिएं।

- दूध में इच्छित मात्रा में शहद मिलाकर 10-12 किशमिश के साथ सेवन करें।

- आंवले का मुरब्बा सुबह-शाम भोजन के साथ खाएं।

- पपीता, अंजीर, खीरा, संतरा, मौसमी, अनार, बेल आदि फल खाएं।

- गेहूं की रोटी, पुराना, चावल, दलिया, मूंग मसूर की दाल भोजन में खाएं।

हिस्टीरिया​​​​​​​ रोग का व्यक्ति क्या न खाएं 

- भारी, गरिष्ठ, बासी, तामसी भोजन न खाएं।

- तली-भुनी मिर्च-मसालेदार चटपटी चीजों का सेवन न करें।

- चाय, काफी, शराब, तंबाकू, गुटखा न खाएं।

- गुड़, तेल, हरी, लाल मिर्च, खटाई, अचार नहीं खाएं।

- मांस, मछली, अंडा  पूर्णत: त्याग दें।


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Content Writer

Niyati Bhandari

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