अपाहिज और शरीरिक संबंधः ये है असल सोच!

punjabkesari.in Wednesday, Apr 29, 2015 - 03:29 PM (IST)

प्यार का रिश्ता कौन नहीं बनाना चाहता, जिसमें उसे जीवनभर के लिए एक साथी मिल जाए। इस रिश्ते मेें आपसी संबंध भी उतने ही मायने रखता है जितना सुख दुख में एक दूसरे का साथ। शारीरिक रूप से असमर्थ व्यक्ति भी सैक्स का सुख भोगना चाहता है। 

लेकिन शारीरिक असमर्थता यानि की विकलांगता से जूझ रहे लोग भी सैक्स करने में सक्षम हो सकते हैं। शोधकर्ता इस बारे में पहले भी जानकारी दे चुके हैं लेकिन इस बारे में अभी भी लोगों में कुछ गलत धारणाएं प्रचलित हैं। चलिए आपको बताएं ऐसी ही भ्रमक बातें जो अपाहिजों को लेकर लोगों के दिलों में बैठी हैं।

1. अपाहिज लोग सैक्स नहीं कर सकतेः विकलांगता के शिकार लोग भी दूसरे लोगों की ही तरह सैक्स कर सकते हैं। दूसरे लोगों की तरह उनकी भी संबंध बनाने की इच्छाएं होती है हालांकि वह उन्हें स्वस्त्र रूप से व्यक्त नहीं कर पाते। 

2. सभी विकलांग लोग वर्जिन होते हैंः शारीरक असमर्थता से जूझ रहे लोग सामान्य लोगों कि तरह सैक्स कर सकते हैं, इसलिए किसी विकलांग व्यक्ति को वर्जिन मान लेना गलत है।

3. शारीरक रूप से असमर्थ लोगों को प्यार और सैक्स कि ज़रूरत नहींः सिर्फ शारीरक रूप से पूरी तरह समर्थ होने का मतलब ये नहीं कि उस व्यक्ति को सैक्स या प्यार की जरूरत ही न हो। उन्हें भी प्यार करने और पाने का उतना ही हक है जितना किसी भी और व्यक्ति को।

4. विकलांग लोग केवल विकलांगों के साथ ही रिश्ता रख सकते हैंः मानव सम्बन्ध हमेशा थोड़े जटिल होते हैं, फिर चाहे वो सम्बन्ध किसी हष्ट पुष्ट व्यक्ति का हो या विकलांग व्यक्ति का। शारीरक असमर्थता का रिश्तों में योगदान से कोई नाता नहीं है। संबंधों का आधार परस्पर आदर और विश्वास और प्यार होता है।

5. विकलांगों को सैक्स संक्रमित रोग नहीं हो सकताः सैक्स संक्रमण का शारीरक असमर्थता से कोई लेना देना नहीं है। सैक्स संक्रमित रोग किसी को भी हो सकते हैं। 

6. विकलांगों के सैक्स शिक्षा की ज़रूरत नहीः सैक्स शिक्षा सबके लिए जरूरी है, अपने आपको सेक्स संक्रमित रोग और अनचाहे गर्भ से बचाने के लिए। 

7. विकलांगों को बच्चे नहीं पैदा करने चाहिएः यदि कोई संरचनात्मक जटिलता न हो, तो कोई कारण नहीं कि शारीरिक विकलांगता के चलते बच्चे पैदा न किए जाएं। विकलांग लोग भी अच्छे माता पिता बन सकते हैं।  

विकलांगों को भी अपनी जिंदगी जीने का हक है। उन्हें जीने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। 


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