रोमांचक तस्वीरें: दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार, बनाने के लिए चढ़ाई बलि!!

punjabkesari.in Saturday, Apr 18, 2015 - 01:52 PM (IST)

नई दिल्लीः यह तो आपको पता ही होगा कि दुनिया की सबसे बड़ी दीवार का खिताब चीन के पास है लेकिन शायद ही आप यह जानते हो कि दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार राजस्थान में स्थित है। 

आपको बता दें कि यह दीवार राजस्थान के अभेद्य माने जाने वाले कुंभलगढ़ किले की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी। कुंभलगढ़ किले का निर्माण राजा कुंभा ने करवाया था। यह किला राजस्थान के उन 6 किलों में से एक है जो वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल हैं। इस किले के चारो तरफ बनी इस दीवार को भेदने की कोशिश महान राजा अकबर ने भी किया लेकिन भेद न सके। इस दीवार की मोटाई इतनी है कि उस पर 10 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि चीन की महान दीवार के बाद यह सबसे लंबी दीवार है। यह किला 1,914 मीटर की ऊंचाई पर समुद्र स्तर से परे क्रेस्ट शिखर पर बनाया गया है। इस किले के निर्माण को पूरा करने में 15 साल का समय लागा। दुर्ग की विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह किसी एक पहाड़ी पर बना हुआ नहीं है, बल्कि इसे कई घाटियों और पहाड़ियों को मिलाकर गढ़ा गया है।

किले के इस दीवार की निर्माण से जुड़ी कहानी बहुत ही दिलचस्प है। इस दीवार को 1443 में बनाना शुरू किया गया। इसे इसलिए बनाया ताकि विरोधियों से सुरक्षा हो सके लेकिन किले के निर्माण में दीवार का बनना बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी। ऐसा माना जाता है कि अंतत: वहां की देवी के आह्वान पर एक संत की बलि दी गई फिर जाकर इस दीवार का निर्माण कार्य पूरा हो पाया।

इस किले के लिए चढ़ाई गई संत की बलि
देवी कुछ और ही चाहती हैं। राजा इस बात पर चिंतित हो गए और एक संत को बुलाया और पूरी कहानी सुनाकर इसका हल पूछा। संत ने बताया कि देवी इस काम को तभी आगे बढ़ने देंगी जब स्वेच्छा से कोई मानव बलि के लिए खुद को प्रस्तुत करे। राजा इस बात से चिंतित होकर सोचने लगे कि आखिर कौन इसके लिए आगे आएगा। तभी संत ने कहा कि वह खुद बलिदान के लिए तैयार है और इसके लिए राजा से आज्ञा मांगी।

जहां गिरा संत का सिर वहां बना मुख्य द्वार
संत ने कहा कि उसे पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां वो रुके वहीं उनकी बलि चढ़ा दी जाए और वहां एक देवी का मंदिर बनाया जाए। ठीक ऐसा ही हुआ और वह कुछ किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया। जहां पर उसका सिर गिरा वहां मुख्य द्वार है और जहां पर उसका शरीर गिरा वहां दूसरा मुख्य द्वार है। यह किला चारो तरफ से अरावली की पहाड़ियों की मजबूत ढाल द्वारा सुरक्षित है।


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