कैसे भूला दूं क्या-क्या हुआ उस रात!

punjabkesari.in Sunday, Mar 01, 2015 - 11:43 AM (IST)

कई बार जाने-अनजानेे और नादान उम्र में हमसे बहुत सारी गलतियां हो जाती है। कई बार वहीं अतीत की गलतियां हमारे भविष्य को बर्बाद करने की कोशिश भी करती है लेकिन ऐसे में किया क्या जाए? 

इस समस्या को सूझ-बूझ और समय देकर हल किया जा सकता है। हम आपको ऐसी ही एक कहानी के जरिए बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन में आने वाली किसी भी परेशानी को दूर करने में मददगार साबित हो सकती है।  

अक्सर स्कूल के दिनों में हम अपनी मनमानी करते हैं इसी उम्र में हम गलतियां करते हैं। रश्मि के साथ भी ऐसे ही हुआ। वह स्कूल में दिनेश नाम के लड़के से प्यार करने लगी। फिर कालेज शुरू हुआ तब भी वह साथ साथ ही थे और अचानक एक दिन इस दोस्ती को उन्होंने रिश्ते का नाम दे दिया। उन्होंने अपने माता-पिता को बताए बिना ही शादी कर ली। इस काम में उनकी एक दोस्त सीमा ने उनका साथ दिया। मां बाप को जब पता चला तो उन्होंने रश्मि से रास्ता अलग कर लिया। 

फिलहाल शादी के बाद दोनों सबसे अलग रहने लगे गए। दोनों को नौकरी मिल गई। वह प्रैग्नेंट हो गई हुई तो ऑफिस आना-जाना मुश्किल होने लगा। सीमा उसकी हर काम में मदद करती थी और उनकी जिंदगी के अहम फैसलों के बारे में उसे पता होता था।  

एक दिन तबीयत खराब होने की वजह से जब वह अचानक घर आई तो उसके होश उड़ गए जब उसने दिनेश को सीमा के साथ ऐसी हालत में देख लिया जिसके बारे में उसे कहना भी अच्छा नहीं लग रहा था।  उसे समझ में नहीं आया कि वह किससे क्या बात करें और उसी वक्त घर से निकल पड़ी। चूंकि शादी मां-पिता की इच्छा के बगैर हुई थी इसलिए उनके पास भी नहीं जा सकती थी।  

हालांकि दिनेश को उसकी परवाह थी वह उसके पीछे तो आया लेकिन उसके शब्द लड़खड़ा रहे थे। ऐसा लग रहा था कि बस कोई कुछ न बोले, क्योंकि बात जितनी आगे बढ़ती उतनी ही रश्मि की तकलीफ बढ़ती। आखिरकार रश्मि ने अपनी प्रेग्नेंसी का पूरा वक्त अपनी एक सहेली की मां के पास बिताया। उसका एक बेटा है।  

अाज भी दिनेश उसे फेसबुक पर रिक्वेस्ट भेज रहा है फोन कर उसे वापिस आने के लिए कह रहा है। रश्मि को समझ में नहीं आ रहा कि उसे क्या करना चाहिए। दिमाग कहता है कि उसकी तरफ देखूं भी नहीं लेकिन दिल बचपन की उन यादों को ताजा करने में जुट जाता है लेकिन क्या दिनेश उसे दोबारा धोखा नहीं देगा इसकी क्या गारंटी है? 

लेकिन हमारी मानें तो उसे दिनेश को एक बार माफ करना चाहिए अगर उसे अपनी गलती का अहसास है तो क्योंकि इंसान गलतियों का पुतला है। दूसरी तरफ रश्मि का पूरा जीवन उसके बेटे को पिता के प्यार की भी जरूरत है जिसके लिए उसे एक मौका तो देना ही चाहिए। वहीं दिनेश को भी रश्मि का भरोसा दोबारा से हासिल करना होगा। 

आपको बता दें कि इस कहानी में सारे पात्र काल्पनिक है। यह सिर्फ आपको सुचेत करने के लिए मददगार तरीका है ताकि आपकी जिंदगी खुशियों से भरी रहे। 

 

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