भारतवंशी वैज्ञानिक ने ढूंढा ऑस्टियोआथ्र्राइटिस का नया इलाज

Tuesday, Jan 20, 2015 - 09:56 PM (IST)

लंदन: ब्रिटेन में शोधकर्ताओं ने एक नया ‘माइक्रोकैप्सूल’ विकसित किया है, जो ऑस्टियोआथ्र्राइटिस के कारण उपास्थियों (कार्टिलेज) में होने वाली सूजन को कम कर सकता है और क्षतिग्रस्त ऊत्तकों का पुनर्निर्माण कर सकता है।

इस शोध को लंदन के क्वीन मेरी विश्वविद्यालय (क्यूएमयूएल) में भाारतीय मूल की शोधकर्ता टीना चौधरी और उनके दल ने अंजाम दिया है। चौधरी ने बताया, ‘‘यदि इस विधि का इस्तेमाल मरीजों के इलाज में किया गया, तो यह ऑस्टियोआथ्र्राइटिस की प्रक्रिया को बहुत हद तक धीमा कर सकता है और यहां तक कि क्षतिग्रस्त ऊत्तकों का भी पुनर्निर्माण कर सकता है।’’

एक प्रोटीन अणु जिसे सी-टाइप न्यूट्रियूरेटिक पेप्टाइड (सीएनपी) कहा जाता है, मानव शरीर में स्वाभाविक तौर पर पाया जाता है। यह सूजन को कम करने तथा क्षतिग्रस्त उत्तकों की मरम्मत करने वाले प्रोटीन के तौर पर जाना जाता है। सीएनपी का इस्तेमाल इलाज में नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह बेहद आसानी से टूट जाता है और लक्षित जगह तक नहीं पहुंच पाता।

शोधकर्ताओं की टीम ने छोटे कैप्सूल का विकास किया, जिसमें कई स्तर होते हैं और इन स्तरों के भीतर सीएपी होता है, जो धीरे धीरे प्रोटीन का रिसाव करता है और प्रभावी तरीके से उपचार करने में सक्षम होता है। शोध में पाया गया कि विकसित माइक्रोकैप्सूल सीएनपी को प्रभावी तरीके से शरीर के रोगग्रस्त क्षेत्र में भेजता है। वर्तमान में सीएनपी का इस्तेमाल सिर्फ अस्थि रोगों और हृदय संबंधी रोगों के उपचार के लिए किया जाता रहा है।

चौधरी ने कहा, ‘‘यदि हम माइक्रोकैप्सूल से इंजेक्शन तैयार कर सकें, तो इसका मतलब होगा कि यह तकनीक बेहद कम कीमत पर अस्पताल या घर पर मरीजों के उपचार के लिए मुहैया हो सकेगी।’’ इस अध्ययन का वित्तपोषण अर्थराइटिस रिसर्च यूके तथा एओ फाउंडेशन द्वारा किया गया।

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