सावन सोमवार: जानिए व्रत विधि, महत्व और पुण्य फल

Saturday, Jul 16, 2016 - 08:48 AM (IST)

सावन के सोमवार पर रखे गए व्रतों की महिमा अपरंपार है। जब सती ने अपने पिता दक्ष के निवास पर शरीर त्याग दिया था, उससे पूर्व महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। पार्वती ने सावन के महीने में ही निराहार रह कर कठोर तप किया और भगवान शिव को पा लिया। इसलिए यह मास विशेष हो गया और सारा वातावरण शिवमय हो गया। इस अवधि में विवाह योग्य लड़कियां इच्छित वर पाने के लिए सावन के सोमवारों पर व्रत रखती हैं। इसमें भगवान शिव के अलावा शिव परिवार की अर्थात माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। सावन के व्रत स्त्री पुरुष दोनों ही रख सकते हैं। सोमवार को उपवास रखना श्रेष्ठ माना गया है परंतु जो नहीं रख सकते वे सूर्यास्त के बाद एक समय भोजन ग्रहण कर सकते हैंं।

 
कैसे करें पूजन 
श्रावण के प्रथम सोमवार, प्रात: और सायंकाल स्नान के बाद, शिव परिवार की पूजा करें।  पूर्वामुखी या उत्तर दिशा की ओर मुख करके  आसन पर बैठ कर , एक ओर पंचामृत, अर्थात दूध, दही,घी, शक्कर, शहद व गंगा जल रख लें। शिव परिवार को पंचामृत से स्नान करवाएं। फिर चंदन , फूल, फल, सुगंध, रोली व वस्त्र आदि अर्पित करें। शिवलिंग पर सफेद पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद वस्त्र व  सफेद मिष्ठान चढ़ाएं। गणेश जी को दूर्वा यानी हरी घास, लड्डू या मोदक  व पीले वस्त्र अर्पित करें। भगवान शिव की आरती या शिव चालीसा पढ़ें । गणेश जी की आरती भी धूप-दीप से करें। शिव परिवार से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें ।
 
महादेव की स्तुति दिन में दो बार की जाती है। सूर्योदय पर, फिर सूर्यास्त के बाद। पूजा के दौरान 16 सोमवार की व्रत कथा और सावन व्रत कथा सुनाई जाती है। पूजा का समापन प्रसाद वितरण से किया जाता है।                
 
इस मंत्र का जाप अत्यंत उपयोगी माना गया है-
 
!!  ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्जवलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम !!
 
अन्यथा आप साधारण एवं सर्वाधिक सर्वप्रिय पंचाक्षरी  मंत्र ‘ओम् नम: शिवाय ’ और गणेश मंत्र ‘ओम् गं गणपतये नम:’ का जाप करते हुए सामग्री चढ़ा सकते हैं । 
Advertising