धन, सम्मान, स्वास्थ्य और आयु वृद्धि के लिए करें नक्षत्र व्रत

Saturday, Mar 26, 2016 - 05:35 PM (IST)

भविष्यपुराण के अनुसार जानें क्या हैं नक्षत्र व्रत 

तिथि, वार या त्यौहार पर व्रत करने का विधान है किन्तु क्या आप जानते हैं कि नक्षत्र व्रत क्या है? आइए जानते हैं कि भविष्यपुराण में नक्षत्र व्रत को किस प्रकार बताया गया है। लोकहित में अथवा आत्मोद्धार के निमित्त से अश्विनी आदि नक्षत्रों का या तदधिष्ठातृ  अश्विनीकुमारदि देवों का व्रत करना हो तो

1. अश्विनी में अश्विनीकुमारों का, 2 भरणी में यम का, 3- कृत्तिका में अग्रि का, 4 रोहिणी में ब्रह्मा का, 5-मृगशिरा में चंद्रमा का, 6 आद्र्रा में शिव का, 7-पुनर्वसु में अदिति (देवताओं की माता) का , 8-पुष्य में बृहस्पति का, 9. शश्लेषा में सर्प का, 10-मघा में पितरों का, 11. उत्तरफाल्गुनी में अर्यमा का, 12. हस्त में सूर्य का, 13. चित्रा में त्वष्टा (इंद्र) का, 14-स्वाती में वायु का, 15. विशाखा में इंद्र और अग्रि का, 16. अनुराधा में मित्र का, 17. ज्येष्ठा में इंद्र का, 18. मूल में राक्षसों का, 19. पूर्वाषाढ़ा में जल का, 20-उत्तराषाढ़ा में विश्वदेवों का, 21. अभिजीत में ब्रह्मा का, 22. श्रवण में विष्णु का, 23. धनिष्ठा में वसु का, 24. शतभिषा में अहिर्बुध्न्य का, 25. पूर्वाभाद्रपदी में अजैकपाद का, 26. उत्तराभाद्रपदी में भक्ष्य का, 27. रेवती में पूषा का उत्तम प्रकार के गंध, पुष्प, फल, भक्ष्य, भोज्य और दूध, दही आदि से पूजन करें एवं एकभुक्त भोजन करने से धन, सम्मान, सुत, स्वास्थ्य और आयुवृद्धि आदि सुख प्राप्त होता है।

—अभय मिश्र 

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