Kalki Dwadashi: भगवान कल्कि से जुड़ी ये खास बातें, कम ही लोग जानते हैं

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2024 - 08:28 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
 
Kalki Dwadashi 2024: पुराणों में भगवान विष्णु के दशावतारों के बारे में बताया गया है। जब-जब घरती पर अत्याचार बढ़ा है भगवान ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लिए हैं। अब तक नौ अवतार हो चुके हैं, दसवां अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। कल्कि द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। परमेश्वर की आज्ञा अनुसार जो भी भगवान रूप में अवतार हुए हैं, उनका आधार सद्गृहस्थ ही रहा है। सतयुग, त्रेता, द्वापर इन सब युगों में जो तरह-तरह के क्रियाकलाप, लीलाएं हुई हैं, वे गृहस्थ के माध्यम से ही हुई हैं और अब आने वाले घोर कलियुग में भी भगवान का अवतार सम्बल गांव के एक गृहस्थ विष्णु यश ब्राह्मण के यहां कल्कि अवतार के रूप में होगा और वे धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। ऐसा पुराणों का मत है। 
 
PunjabKesari Kalki Avatar
शास्त्रों में वर्णित है श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह अवतार होना तय है इसलिए यह शुभ तिथि कल्कि जयंती को उत्सव रूप में मनाया जाता है। कल्कि अवतार के जन्म समय ग्रहों की जो स्थिति होगी उसके बारे में दक्षिण भारतीय ज्योतिषियों की गणना के अनुसार जब चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र और कुंभ राशि में होगा। सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में गोचर करेगा। गुरू स्वराशि धनु में और शनि अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान होगा।
 
PunjabKesari Kalki Avatar
भगवान विष्णु के बहुत सारे अवतार इस धरती पर हो चुके हैं, माना जाता है की कल्कि अवतार आखरी अवतार होगा। जो 64 कलाओं से युक्त होगा।  यू.पी के मुरादाबाद जिले में स्थित शंभल गांव में तपस्वी ब्राह्मण विष्णुयशा के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। जो घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का खात्मा करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। कल्कि पुराण के मतानुसार श्री हरि विष्णु का 'कल्कि' अवतार होने के बाद धरती से समस्त पापों और बुरे कर्मों का नाश हो जाएगा। 
 
PunjabKesari Kalki Avatar
भविष्य में होने वाले भगवान के इस अवतार के वर्तमान में बहुत से मंदिर हैं। जहां न केवल कल्कि भगवान की पूजा होती है बल्कि उनके घोड़े की प्रतिमा को भी आदरपूर्वक प्रणाम किया जाता है। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है की यह संसार का पहला मंदिर है। इसका निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह ने सिरहड्योढ़ी दरवाजे के सामने वर्ष 1739 में करवाया था। लगभग पौने तीन सौ साल प्राचीन इस मंदिर को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर रखा है। 
 
PunjabKesari Kalki Avatar
 
 

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News