ज्योतिष की राय: कब मनाएं होली का त्यौहार 23 मार्च अथवा 24 मार्च

Thursday, Mar 17, 2016 - 04:08 PM (IST)

हिन्दू धर्म जीवित और पुरुषार्थी जाति का धर्म है । उसका हर एक त्यौहार जागरूकता ओर क्रियाशीलता का सन्देश देता है। रंगों का त्यौहार होली भारत का दूसरा मुख्य पर्व है जो अधिकतर स्थानों पर दो दिन मनाया जाता है। होली के पहले दिन रात को होलिका दहन किया जाता है यानि होली को जलाया जाता है जिसे छोटी होली के नाम से जाना जाता है। अगले दिन रंग वाली होली मनाई जाती है। जिसे धुलण्डी नाम से जाना जाता है।
 
होली का पर्व कब मनाया जाए आप भी इस गुत्थी को सुलझा नहीं पा रहे हैं तो जानें ज्योतिष की राय। होल‌िका दहन प्रदोष व्याप‌िनी पूर्ण‌िमा को भद्रारह‌ित काल में करने का विधान है। 2016 में पूर्ण‌िमा प्रदोष व्याप‌िनी के साथ 22 मार्च को दोपहर 3 बजकर 13 म‌िनट से आरंभ हो जाएगी। अधिकतर विद्वानों का मानना है की होल‌िका दहन 22 मार्च को कर लिया जाए और 23 मार्च को धुलंडी मनाई जाए।
 
अन्य ज्योतिषचार्यों का मानना है की धर्मस‌िंधु, ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार 22 मार्च को जो पूर्ण‌िमा त‌ि‌थ‌ि पड़ रही है उसमें भद्रा भी व्यप्त है। 23 मार्च को आने वाली पूर्ण‌िमा प्रदोष व्याप‌िनी न होकर 3 बजकर 15 म‌िनट पर समाप्त हो जाएगी।  यह तीन प्रहर से ज्यादा वक्त तक रहेगी इसलिए शास्त्रों के अनुसार इस दिन होल‌िका दहन करना शुभ रहेगा।
 

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार दिन के वक्त होल‌िका दहन करना निषिद्ध माना गया है। दिनांक 23 मार्च को वृद्ध‌िगाम‌िनी प्रत‌िपदा में संध्या काल के समय 4 बजकर 55 म‌िनट से लेकर 5 बजकर 31 म‌िनट तक होल‌िका दहन करने का समय शास्त्रों के अनुकुल माना गया है और अगले दिन 24 मार्च को रंगों से खेलने वाली होली मनाई जाएगी। 

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