निर्वाण दिवस पर विशेष: धर्म प्रचार को समर्पित मास्टर नत्था सिंह

Thursday, Sep 03, 2015 - 12:04 PM (IST)

श्री सनातन धर्म प्रचारक मंडल के संस्थापक इतिहास केसरी मास्टर नत्था सिंह जी ने कई दशकों तक सफलतापूर्वक श्री सनातन धर्म का प्रचार किया। उन्होंने लोगों को देश धर्म व समाज के प्रति उनके कर्तव्यों का बोध कराने के लिए अनेकों भजन, गीत आदि लिखे। 

कर्ई दशक पूर्व उनके द्वारा लिखी गई रचनाएं आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं क्योंकि उनमें विशेष नवीनता, चेतना व ताजगी है। मास्टर जी ने जीवन भर वेदों, शास्त्रों व ग्रंथों के गूढ़ रहस्यों को सरलतम गीतों व भजनों में समझाया। मास्टर जी ने मृत्यु की सच्चाई को स्वयं भी समझा और दुनिया को भी समझाते हुए लिखा कि किसी दिन देख लेना तुझको ऐसी नींद आएगी। तू सोया फिर न जागेगा तुझे दुनिया जगाएगी।

उन्होंने एक गीत में लिखा कि- न भस्मी रमाने से न रेशमी दुशालों से। बंदा पहचाना जाता है सिर्फ ऐमालों से। मास्टर जी ने भगवान श्री कृष्ण जी से भी प्रार्थना की कि-भारत पुकारता है बंसी बजाने वाले, कलयुग में भी खबर ले, द्वापर में आने वाले।

देश के हालात से दुखी होकर उन्होंने भगवान श्री कृष्ण जी से प्रार्थना की कि- आजा शाम सुंदर बनवारी, भारत  देश की दशा आन के वेख जरा इक  वारी, लत्तों खिचदे एक दूजे नूंं हट मेरी वारी, देश किसे नू नहीं प्यारा, कुर्सी सब नू प्यारी।।

मास्टर जी ने दुनिया को समझाया कि भगवान को पाने के लिए अभिमान को छोडऩा होगा। भगवान से मिलने का भी मार्ग बताते हुए उन्होंने लिखा कि तू अगर खुद को खो नहीं सकता। उसका दीदार हो नहीं सकता। मास्टर जी ने लिखा कि- सुख में हंसना दुख में रोना यह काम अनजान का है। हर हालत में खुश रहना यह जीवन ज्ञानवान का है। उन्होंने चुनावों की चर्चा करते हुए भी लिखा है कि- वतन में इस तरह जोरे इलैक्शन होता जाता है। हर इंसान का इंसान दुश्मन होता जाता है, तमाशा है सरे बाजार इस आजाद भारत का, बदी बिकती है पर नेकी का राशन होता जाता है। 

—कृष्ण राजपाल, लुधियाना 

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