कलयुग में बढ़ते हुए दानवों को समाप्त करता है यह शस्त्र

Tuesday, Jul 28, 2015 - 03:59 PM (IST)

योग साधना भारत की संसार को श्रेष्ठतम देन है। सृष्टि के आदिकाल से लेकर आज तक भारत की इस पावन धरती ने अनेक योगनिष्ठ महान आत्माओं को उत्पन्न किया है जिन्होंने समय-समय पर योग के विषय पर केवल प्रकाश ही नहीं डाला अपितु स्वयं क्रियात्मक रूप से जीवन में अपना कर अपने अनुयायियों को योग मार्ग पर चला कर उनका कल्याण किया है। 

ऐसे ही महान युग पुरुषों में से योगेश्वर राम लाल जी महाराज भी एक महान योग विभूति थे जिन्होंने कलिकाल के भौतिकवाद में ग्रसे जीवों को ‘योग’ का मार्ग बताया तथा लुप्त हो रही योग विद्या को पुन: संसार में स्थापित किया। श्री राम लाल जी महाराज ने यह सिद्ध कर दिखाया कि योग साधना का आधार पूर्णतया वैज्ञानिक है तथा इसे जीवन में अपनाने से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकता है। योगेश्वर राम लाल जी का अवतरण आज से लगभग 128 वर्ष पूर्व विक्रमी सम्वत् 1945 (ईस्वी सन् 1888) की चैत्र शुक्ल नवमी, बृहस्पतिवार को पंजाब प्रांत के अमृतसर नगर में कूचा भाई संत सिंह में पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ। यह रामनवमी का दिन था।

आपने कलियुग में बढ़ते हुए दानव रूपी अनाचार, हिंसा व अत्याचार को समाप्त करने के लिए ‘योग साधना’ का शस्त्र उठाया। योग को इतना सरल, इतना सुगम बना दिया कि हर आयु वर्ग का व्यक्ति इससे लाभ उठा सके। इसके लिए ‘योग साधन आश्रम’ की स्थापना की जहां आज भी भारतवर्ष के भिन्न-भिन्न भागों में स्थापित केन्द्रों में अनेकानेक लोग शारीरिक एवं मानसिक लाभ के साथ-साथ ब्रह्म साक्षात्कार कर रहे हैं।

योगेश्वर राम लाल जी ने ‘योग’ को धर्म की संकीर्णताओं से कहीं ऊपर उठा दिया। व्यक्ति किसी भी धर्म अथवा सम्प्रदाय का हो वह ‘योग’ को अपना सकता है क्योंकि योग धर्म न होकर मानव कल्याण का मार्ग है। योग घर-घर, नगर-नगर पहुंचे इस उद्देश्य के लिए प्रभु राम लाल जी ने पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया और कई स्थानों पर ‘योग आश्रमों’ की स्थापना की। 

इनमें अमृतसर के निकट छहर्टा योग साधन आश्रम का विशिष्ट स्थान है। इस आश्रम का संचालन आजकल स्वामी राम प्यारा जी के परम शिष्य स्वामी गुरबख्श राय जी महाराज कर रहे हैं। यहां योग की शिक्षा दी जाती है तथा अनेकानेक रोगों का इलाज बिना दवाई योग के माध्यम से किया जाता है।

योगेश्वर राम लाल जी भारत की इस पावन धरती पर योग भास्कर बन कर उदित हुए तथा योग के प्रकाश को जनसाधारण तक पहुंचा कर मानव कल्याण के लिए साधकों की अंतर पिपासा को शांत कर अपनी करुणा, दया और अनुकम्पा का परिचय दिया। ऐसे महान योगी को कोटिश-कोटिश प्रणाम्।    

—विजय कुमार कपूर

सौजन्य योग साधन आश्रम, छहर्टा (अमृतसर)

Advertising