अक्षत एकादशी कल: ये है विधि, महत्व, उपाय और मंत्र

Friday, Jul 29, 2016 - 09:13 AM (IST)

शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। शास्त्रों ने इस एकादशी को अजा एकादशी यां अक्षत एकादशी कहकर संबोधित किया है। इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरुप का पूजन होता है। मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति इस एकादशी पर व्रत रखकर विधिवत पूजन करता है उसकी मनोवांछित कामनाएं पूरी होती हैं तथा उसके समस्त कष्टों का निवारण होता है। 
कामिका एकादशी व्रत कथा
 
कामिका एकादशी महात्म: कामिका एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से अमोघ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन विधिवत पूजन करने से व्यक्ति के पितरों के भी कष्ट दूर होते हैं। व्यक्ति पाप रूपी संसार से उभर कर, मोक्ष की प्राप्ति करने में समर्थ हो पाता है। जो मनुष्य सावन माह में कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरुप की पूजा करता है, उसके द्वारा गंधर्वों और नागों की सभी का पूजन हो जाता है। जो व्यक्ति तुलसी पत्र से श्री केशव का पूजन करता है उसके जन्म भर के पाप नष्ट होते हैं। 
 
व्रत पूजन और उपाय विधि: कामिका एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। स्नान हेतु मिट्टी, तिल और कुशा का प्रयोग करें। स्नान पश्चात साफ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरुप काकरने हेतु सांकल लें। तत्पश्चात भगवान का पूजन करें। सर्वप्रथम शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। गूगल से धूप करें पीले फूल अर्पित करें। काले तिल और पंचामृत अर्पित करें। भगवान को पंजीरी का भोग लगाएं साथ में मिश्री और तुलसी अवश्य अर्पित करें। हल्दी अथवा चंदन की माला से इस मंत्र का जाप करें।
 
मंत्र: ॐ नमो भगवते उपेंद्राय केशवाय माधवाय नमोस्तुते।।
 
आचमन के पश्चात धूप, दीप, चन्दन आदि पदार्थों से भगवान विष्णु की आरती करें। तथा अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मण को घर पर भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करें। कामिका एकादशी की रात्रि को दीप दान करें। रात्रि के समय विष्णु मंदिर में दीपक जलाएं। 
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