रामसेतु पर अमरीकी दावे से भारत में राजनीतिक उबाल

Thursday, Dec 14, 2017 - 11:21 AM (IST)

नई दिल्लीः रामसेतु के अस्तित्व पर अमरीकी वैज्ञानिकों के दावे के बाद अचानक ही भारत में ये मुद्दा फिर गर्मा गया है और देश में रानीतिक उबाल शुरू हो गया है। रामसेतु  पर सियासी वाद-विवाद और चर्चा तेज हो गई है।


एक तरफ जहां कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने  अमरीकी रिसर्च रिपोर्ट का स्वागत करते हुए कहा कि हजारों वर्षों से राम का जीवन इस देश के कण-कण में है। अब विज्ञान ने भी पुष्टि की है। रामसेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले गलत साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि रामसेतु आस्था का विषय है। यह एक सांस्कृतिक विरासत है उसके साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।  

वहीं संदीप सिंह नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा ASI क्या कर रहा है? यह बात तो दुनिया को भारत के जरिए पता चलनी चाहिए थी न कि कोई विदेशी साइंस चैनल हमें बताता। इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च ने मार्च में घोषणा की थी कि वह समुद्र के भीतर अध्ययन के जरिए इस रहस्य को सुलझाएगा। नवंबर में इसे रिपोर्ट देनी थी लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह काम अभी शुरू ही नहीं हुआ है।

गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अमरीकी रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद उन लोगों को जवाब मिला, जिन्होंने रामसेतु पर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला का कहना है कि रामसेतु तो पहले से है। हम सब उसको मानते हैं। यह लोग तो भ्रम फैला रहे हैं। रामसेतु के ऐतिहासिक तथ्य को हम मानते हैं। 


भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि रामसेतु पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए।राहुल गांधी को भी इस पर अपना स्टैंड साफ करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि अमरीकी आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने रामसेतु स्थल के पत्थरों और बालू के सैटेलाइट से मिले चित्रों का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में अमरीकी वैज्ञानिकों ने रामसेतु के अस्त‍ित्व के दावे को सच बताया है। अमरीकी वैज्ञानिकों ने रामसेतु को लेकर कहा है कि रामसेतु मानव निर्मित है।वैज्ञानिकों का कहना है कि रामायण में जिस सेतु का जिक्र है, वह 7 हजार साल पुराना है।  


वैज्ञानिकों ने इसको एक सुपर ह्यूमन एचीवमैंट बताया है। अध्ययन रिपोर्ट की मानें तो भारत-श्रीलंका के बीच 30 मील के क्षेत्र में बालू की चट्टानें पूरी तरह से प्राकृतिक हैं, लेकिन उन पर रखे गए पत्थर कहीं और से लाए गए प्रतीत होते हैं।  इसकी उम्र करीब सात हजार साल से भी पुरानी बताई जा रही है।वहीं रिपोर्ट में यहां मौजूद पत्‍थरों को भी करीब चार-पांच हजार साल पुराना बताया गया है।

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