सेक्सुअल हैरासमेंट मामला : पीयू की साख पर लगे दाग, पीड़िता का करियर दांव पर

punjabkesari.in Monday, Jan 15, 2018 - 04:52 PM (IST)

चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी में बीते कुछ वर्षो में सेक्सुअल हैरासमेंट के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसा ही एक मामला 1 फरवरी 2017 का है। जहां पीयू सेक्सुअल हैरासमेंट मामले में पीड़िता पीएचडी स्कॉलर का करियर खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पहले तो स्कॉलर का दाखिला कैंसिल कर दिया, जब हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया, तो अब उसको दूसरी तरह से परेशान किया जा रहा है। पीड़िता ने विभाग और प्रशासन पर एक्सटेंशन न देने से लेकर स्कॉलरशिप लटकाने और मेडिकल लीव अप्रूव न करने के आरोप लगाए हैं। हालत यह है कि गंभीर चोट लगने के बाद पीड़िता पीयू की सेक्सुअल हैरासमेंट कमेटी के सामने पैर में लगे स्टील के तीन फिक्सेटर और बैशाखी के सहारे पेश हुई, लेकिन प्रशासन करीब 9 महीने बाद भी मेडिकल लीव को अप्रूव नहीं कर रहा। अब हालत यह है कि पीड़िता हर रोज घंटों विभाग, डीयूआइ कार्यालय और प्रशासनिक भवन की खाक छान रही है।

स्कॉलरशिप के डॉक्यूमेंट लटकाए : 
पीड़िता को जनवरी 2017 में एक्सीडेंट होने के बाद से लेकर अब तक स्कॉलरशिप नहीं मिली है। मार्च में इसको लेकर दस्तावेज विभाग में दिए थे, जिनको उसे वापस कर दिया गया। रजिस्ट्रेशन बहाल होने पर दोबारा दिए, लेकिन अब तक स्कॉलरशिप की फाइल का ही नहीं पता कि किस अधिकारी की टेबल पर है।

एक्सटेंशन का लेटर वापस कर दिया : 
जहां कई कैंडिडेट्स को तय समय से ज्यादा के लिए परमिशन दी जाती है, वहीं, पीड़िता को एक्सटेंशन को लेकर पीयू प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है। पीयू की चुप्पी साल रही है। विभाग ने एक्सटेंशन की एप्लीकेशन यह कहते हुए वापस कर दी कि अभी डीयूआइ कार्यालय से मेडिकल मंजूर नहीं हुआ है।

मेडिकल लीव की एप्लीकेशन सवा महीने से लटकी : 
करीब 3 महीने पीड़िता चोट के चलते बेड पर रही। जनवरी 2017 के पहले सप्ताह में एक्सीडेंट हुआ था, जिसकी मेडिकल लीव अब तक अप्रूव नहीं हुई। विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि अब डीयूआइ कार्यालय ने मेडिकल लीव ही मंजूर नहीं की है।

करियर को लेकर पीड़िता परेशान : 
पीड़िता ने कहा कि मुझे प्रताड़ित होते हुए एक साल हो गया है। डीयूआइ प्रोफेसर मीनाक्षी मल्होत्रा, रजिस्ट्रार रिटायर्ड कर्नल जीएस चड्ढा मेरे करियर को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मैं हर रोज घंटों इनके कार्यालय के चक्कर काट रही हूं, लेकिन कोई फायदा नहीं।

यह है मामला : 
पीड़िता ने 1 फरवरी 2017 को महिला डीएसडब्ल्यू के बेटे के खिलाफ सेक्सुअल हैरासमेंट और जान-बूझकर कार से टक्कर मारकर घायल करने के आरोप लगाए थे। लड़की को पैर में गंभीर चोट लगी थी और फिक्सेटर लगे थे। पीयू प्रशासन ने अधिकारी का पक्ष लेते हुए पीड़िता का दाखिला कैंसिल कर दिया था, जिस पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था। अब स्कॉलर मेडिकल लीव, स्कॉलरशिप और एक्सटेंशन के लिए अधिकारियों के कार्यालय में हर रोज घंटों चक्कर काट रही है।


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