केरल में लगातार हो रही ‘राजनीतिक हत्याएं’

Tuesday, Nov 14, 2017 - 02:07 AM (IST)

केरल में राजनीतिक हत्याओं का लम्बा इतिहास रहा है। पहले यहां कांग्रेस और वामपंथी दलों के बीच बदलाखोरी की घटनाएं होती थीं परंतु पिछले कुछ वर्षों से संघ और भाजपा द्वारा भी राज्य की राजनीति पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिशों के बाद हिंसक घटनाएं और बढ़ गई हैं। 

अभी तक कितनी राजनीतिक हत्याएं हुई हैं इसका कोई स्पष्टï आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है परंतु अनुमान है कि पिछले 3 दशक के दौरान अकेले कन्नूर में दोनों पक्षों के 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष कुम्मनम राजशेखरन ने हाल ही में एक राज्यव्यापी यात्रा निकाली थी जिसे उन्होंने ‘रैड एंड जेहादी टैरर’ के विरुद्ध यात्रा करार दिया था और इसमें पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी भाग लिया था। पहले माकपा-भगवा हिंसा मात्र उत्तरी केरल के कन्नूर जिले तक ही सीमित थी परंतु अब यह राज्य के अन्य भागों में भी फैलने लगी है जिसके चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं: 

13 फरवरी, 2016 को संघ कार्यकत्र्ता सुजीत की कन्नूर में उनके परिवार के सामने ही माकपा वर्करों द्वारा गला काट कर हत्या। 18 मई को माक्र्सी कार्यकत्र्ता सी. रवींद्रन की एक विजय यात्रा के दौरान मम्बारम में एक बम धमाके में मौत। 11 जुलाई को माक्र्सी नेता धनराज की उनकी पत्नी और बेटी के सामने पय्यानूर में छुरा घोंप कर हत्या और इसके कुछ ही घंटों के भीतर माक्र्सी पार्टी ने संघ से संबंधित आटो ड्राइवर सी.के. रामचंद्रन की उनकी युवा बेटी के सामने हत्या कर दी। इसके बाद रामचंद्रन की बेटी द्वारा सोशल नैटवर्क पर डाले गए वीडियो की बहुत चर्चा हुई थी जिसमें उसने सवाल किया था कि तुम लोगों ने मुझे अनाथ क्यों बनाया? 

04 सितम्बर को थिलनकेरी में संघ कार्यकत्र्ता बिनीश की गला घोंट कर हत्या। 10 अक्तूबर को माकपा नेता के. मोहनन की वेंगाड में हत्या। 12 अक्तूबर को संघ कार्यकत्र्ता रेमित की पिनाराई में हत्या। उल्लेखनीय है कि इनके पिता उथामान भी 2002 में माक्र्सी हिंसा में मारे गए थे। 18 जनवरी, 2017 को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के निर्वाचन क्षेत्र धर्मडोम स्थित अंदलूर में संघ कार्यकत्र्ता ई. संतोष की गला घोंट कर हत्या। 12 मई को संघ के सदस्य बीजू की पय्यानूर में हत्या। और अब 12 नवम्बर को केरल में मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध गुरुवायुर के नेनमेनी कस्बे में माकपा कार्यकत्र्ताओं ने दिन-दिहाड़े आनंदन नामक युवा संघ कार्यकत्र्ता की उस समय हत्या कर दी जब वह अपने मोटरसाइकिल से घर जा रहा था। कार सवार हत्यारों ने पहले उसे टक्कर मारी और फिर उस पर जानलेवा हमला कर दिया। 

ब्रह्मकुल के रहने वाले आनंदन पर 2013 में फाजिल नामक एक माकपा वर्कर की हत्या का आरोप लगा था और वह जमानत पर था। इस हत्याकांड में पहले आरोपी की इसी वर्ष अगस्त में हत्या कर दी गई थी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस हत्या से एक ही दिन पहले 11 नवम्बर को प्रदेश में बढ़ रही राजनीतिक असहनशीलता के विरुद्ध प्रोटैस्ट मार्च निकाला था। केरल भाजपाध्यक्ष कुम्मनम राजशेखरन ने आरोप लगाया है कि पिछले वर्ष जब से माकपा के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार सत्ता में आई है तब से भाजपा व संघ के 14 कार्यकत्र्ताओं की हत्या हो चुकी है। भाजपा का आरोप है कि 2001 के बाद केरल में उसके 120 कार्यकत्र्ता मारे जा चुके हैं जिनमें केवल कन्नूर में ही 84 कार्यकत्र्ता मारे गए।

भाजपाध्यक्ष अमित शाह ने राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से पूछा है कि उनकी सरकार माकपा के अपराधियों पर रोक लगाने के लिए क्या पग उठा रही है और इसके साथ ही केरल में माकपा और संघ-भाजपा एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं और एक-दूसरे पर राज्य में हिंसा भड़काने के आरोप लगा रहे हैं। पिछले कुछ समय के दौरान संघ और माकपा के बीच बदलाखोरी की भावना और प्रतिद्वंद्विता के चलते हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं जिनसे स्पष्टï है कि पार्टी के नेता अपने कार्यकत्र्ताओं पर पकड़ खोते जा रहे हैं जिन पर अपने-अपने दलों के आदर्शों का जनून सवार है। वैसे तो देश के अन्य राज्यों में विभिन्न दलों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चलती रहती है परंतु इसमें बदलाखोरी और हिंसा का रुझान केवल केरल में ही देखने को मिलता है जो किसी भी दृष्टिï से लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।—विजय कुमार 

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