कॉमर्स में है करियर की नई संभावनाएं

punjabkesari.in Wednesday, Jan 17, 2018 - 05:33 PM (IST)

नई दिल्ली : कुछ ही समय में सभी राज्यों और सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं शुरु होने वाली है। एेसे में कई स्टूडेंट्स पहले  से ही यह सोच लेते है कि उन्हें किस फील्ड में  करियर बनना है। लेकिन कई विद्यार्थी अभी तक अपने करियर को लेकर कुछ सोच पाएं है उन्हें नहीं पता कि वह आगे किस फील्ड में करियर बनाएं ताकि आसानी से अपनी जिंदगी गुजारने के साथ- साथ अपने करियर को नई दिशा दे सकें। आइए जानते है कुछ एेसी फील्डस के बारे में जिनमें करियर बना कर आप अपना करियर संवार सकते है।आज के समय में कॉमर्स एक उभरता हुआ क्षेत्र है। बारहवी में कॉमर्स विषय लेन के बाद स्टूडेंट्स के पास कई ऑप्शंस खुल जाते है। पिछले कुछ सालों में कॉमर्स स्टूडेंट्स की डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है। जिस देखते हुए आज युवाओं कॉमर्स से जुड़े कोर्सें को काफी महत्व दे रहे है। यह एक ऐसा विषय है जिसे करने के बाद हाई पैड सैलरी आप आसनी से प्राप्त कर सकते है। 

बैचलर ऑफ कॉमर्स 
12वीं के बाद कॉमर्स में तीन साल का ग्रेजुएशन करना चाहते हैं तो बीकॉम एक अच्छा ऑप्शन है । इस डिग्री की मदद से आप अकाउंटिंग फाइनांस, ऑपरेशंस, टेक्सेशन और दूसरे कई फील्ड्स में अपना करियर बना सकते हैं। बीकॉम में स्टूडेट्स को गुड्स अकाउंटिंग, अकाउंट्स, प्रोफिट एंड लॉस और कंपनी कानून की जानकारी दी जाती है।

बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स)
अकसर स्टूडेंट्स बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स) और बैचलर ऑफ कॉमर्स में अंतर नहीं कर पाते। दरअसल, बीकॉम ऑनर्स तीन साल का डिग्री प्रोग्राम है जिसमें कुल मिलाकर 40 विषय होते हैं। स्टूडेंट्स को इन विषयों के अलावा एक विषय में स्पेशलाइजेशन भी कराया जाता है । स्पेशलाइजेशन के लिए स्टूडेंट्स मार्केटिंग मैनेजमेंट, अकाउंटिंग और फाइनांशियल मैनेजमेंट, इंटरनेशनल ट्रेड एंड फाइनांस, ई कॉमर्स, बैंकिंग या ह्यूमन एंड रिसोर्स मैनेजमेंट में से किसी एक विषय चुन सकते हैं। बैचलर ऑफ कॉमर्स में सब्‍जेक्‍ट्स ऑनर्स की तुलना में कम डिटेल में पढ़ाए जाते हैं।

बीकॉम- एकाउंटिंग एंड फाइनांस 
बैचलर ऑफ कॉमर्स इन अकाउंटिंग एंड फाइनांस 12वीं के बाद किया जाने वाला तीन साल का डिग्री प्रोग्राम है. इस कोर्स के बाद अकाउंट्स और फाइनांस में करियर के मौके काफी होते हैं.शुरुआती दिनों में बतौर ट्रेनी अकाउंटेंट काम किया जा सकता है। इस प्रोग्राम में अकाउंट्स, फाइनांस, टेक्सेशन के करीब 39 विषय पढ़ाए जाते हैं। इस डिग्री प्रोग्राम में फाइनांशियल नॉलेज पर ज्‍यादा फोकस किया जाता है।

बीकॉम- बैंकिंग एंड इंश्‍योरेंस 
बैचलर ऑफ कॉमर्स (बैंकिंग एंड इंश्योरेंस) एकेडमिक और प्रोफेशनल डिग्री दोनों है । इस प्रोग्राम में अकाउंटिंग, बैंकिंग, इंश्योरेंस लॉ, बैंकिंग लॉ और इंश्योरेंस रिस्क कवर की जानकारी दी जाती है।  इस डिग्री में बैंकिंग और इंश्योरेंस इंडस्ट्री में कवर होने वाले टॉपिक्स और विषयों की सिस्टमेटिक स्टडी कराई जाती है। इस कोर्स में 38 विषय होते हैं।  इसके अलावा  बैंकिंग और इंश्योरेंस से जुड़े 2 प्रोजेक्ट भी हैं। इस कोर्स को करने के बाद स्टूडेंट्स एमकॉम, एमबीए, सीएफए जैसे हायर एजुकेशन वाले कोर्सेज कर सकते हैं। यही नहीं गवर्मेंट और प्राइवेट सेक्टर में ऑडिटिंग, अकाउंटेंसी, बैंकिंग, फाइनांस की फील्ड में नौकरी के लिए भी एप्‍लाई किया जा सकता है। 

कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट 
कॉस्ट अकाउंटेंसी सीए से मिलता-जुलता कोर्स है. द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट ऑफ इंडिया कॉस्ट अकाउंटेंसी का कोर्स कराता है। 12वीं के बाद भी स्टूडेंट्स ICWA का कोर्स कर सकते हैं। इसके लिए 12वीं पास स्टूडेंट्स को पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है। कोर्स पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स को कॉस्ट अकाउंटेंट और इससे जुडे़ पदों पर काम करने का मौका मिलता है। इसके लिए द इंस्टीटय़ूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया में आवेदन करना होता है। एडमिशन के लिए जून और दिसम्बर में एंट्रेंस एग्जाम होता है। फाउंडेशन कोर्स के बाद इंटरमीडिएट कोर्स करना होता है और फिर सीए की तरह ही फाइनल एग्जाम देकर कोर्स पूरा होता है। 

बीकॉम- फाइनांशियल मार्केट्स
बैचलर ऑफ कॉमर्स इन फाइनांशियल मार्केट्स में फाइनांस, इंवेस्टमेंट्स, स्टॉक मार्केट, कैपिटल, म्यूचल फंड के बारे में जानकारी दी जाती है। इस प्रोग्राम में 6 सेमेस्टर होते हैं और कुल 41 विषयों की पढ़ाई की जाती है। इस डिग्री को हासिल करने के बाद ट्रेनी एसोसिएट, फाइनांस ऑफिसर, फाइनांस कंट्रोलर, फाइनांस प्लानर, रिस्क मैनेजमेंट, मनी मार्केट डीलर इंश्योरेंस मैनेजर की नौकरी मिल सकती है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स कराता है। सीए में करियर बनाने के लिए इसकी शुरुआत कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (CPT) से होती है, जिसे पास करने के बाद ही छात्र अपने लक्ष्य के पहले पड़ाव को पार कर दूसरे पड़ाव पर पहुंच सकता है। इसमें चार विषयों जैसे अकाउंटिंग, मर्केटाइल लॉ, जनरल इकोनॉमिक्स एवं क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूड को शामिल किया जाता है। मान्यता प्राप्त बोर्ड से कॉर्मस स्ट्रीम में 12वीं पास करने के बाद कोई भी स्‍टूडेंट्स सीए में करियर बना सकते हैं। कई बार स्‍टूडेंट्स सीए की दौड़ में भाग लेने के लिए अपनी शुरुआत ग्रेजुएशन के बाद भी करते हैं। लेकिन सीए कोर्स की लंबी अवधि के कारण सीए की शुरुआत का सही समय 12वीं पास करने के बाद का ही होता है। सीए की तैयारी के लिए छात्रों को पहले अकाउंटिग में मजबूत पकड़ बनानी चाहिए। स्‍टूडेंट्स में मैनेजमेंट और फाइनेंशियल क्षेत्र में एक्सपर्ट नॉलेज के साथ एक्सपर्ट व्यू का होना बहुत जरूरी है।

 कंपनी सेक्रेटरी (CS)
 इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) देश में कंपनी सेक्रेटरी प्रोग्राम चलाता है. साइंस, कॉमर्स और ऑर्ट्स, जिसमें फाइन आर्ट्स शामिल न हो, में 12वीं के बाद कंपनी सेक्रेटरी कोर्से के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके तीन चरण हैं- फाउंडेशन (आठ महीने), एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल। फाइन आर्ट्स को छोड़कर किसी भी स्‍ट्रीम में ग्रेजुएट उम्‍मीदवार CS का कोर्स कर सकते हैं। ग्रेजुएट उम्‍मीदवारों को आठ महीने के फाउंडेशन कोर्स से छूट होती है और उन्‍हें सीधे दूसरे चरण में एडमिशन मिल जाता है। एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद एक कंपनी या किसी अनुभवी या प्रैक्टिस कर रहे कंपनी सेक्रेटरी के साथ 16 महीने की ट्रेनिंग करना अनिवार्य होता है। प्रोफेशनल कोर्स और ट्रेनिंग के बाद आईसीएसआई के एसोसिएट सदस्य बन जाते हैं।


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