आरोपी ने कभी सोचा भी न होगा कि दांत का घाव ले जाएगा उसे सलाखों के पीछे, जानें पूरा मामला

punjabkesari.in Saturday, Nov 18, 2017 - 07:47 PM (IST)

चंडीगढ़, (अर्चना सेठी): दांतों के दम पर अब मर्डर केस भी क्रैक किए जा सकेंगे। दांतों के आकार, उनका डी.एन.ए., उनकी किस्म के आधार पर अपराधी को पकडऩा आसान हो गया है। फॉरैंसिक साइंस ने दांतों को ऐसा हथियार मान लिया है जिसका सबूत कभी नष्ट नहीं हो सकता। दांत के आकार के बूते ही गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 के फॉरैंंसिक साइंस डिपार्टमैंट ने चंडीगढ़ के उस मर्डर केस को सॉल्व किया है, जिसमें हत्यारों ने लूट के इरादे से सैक्टर-22 के एक व्यापारी कैलाश चंद का खून कर दिया था। कैलाश चंद के भाई मदन लाल को भी हत्यारे गोली से उड़ाना चाहते थे, परंतु मदन लाल ने हत्यारे की बाजू पर अपने दातों से वार किया और दांतों से उसकी बाजू इतना बुरी तरह से काटी थी कि मदन के दांतों के निशान हत्यारे के बाजू पर रह गए थे। कैलाश की हत्या के बाद जी.एम.सी.एच.-32 के फॉरैंसिक एक्सपट्र्स ने मदन लाल के दांतों के निशान ले लिए थे और जब 10 दिनों के बाद हत्यारा नाजिर खान और संचित पकड़ा गया तो फॉरैंसिक एक्सपर्ट ने मदन के दांतों के आकार व निशानों को ध्यान में रखते हुए बनाए कास्ट को हत्यारे की बाजू पर लगे टूथ बाइट से मिलाया तो कास्ट और बाइट के निशान आपस में मिल गए। टूथ बाइट और कास्ट के मिलान को कोर्ट ने साइंटिफिक एविडैंस मानते हुए हाल ही में हत्यारों को सजा दी है। 

यह था मामला
सैक्टर-22 के एक दुकानदार कैलाश चंद का पांच साल पहले खून हो गया था। तीन कातिलों ने लूट के इरादे से कैलाश चंद पर गोलियों से वार किया था। कातिल नशेहड़ी थे। कैलाश चंद की दुकान पर कातिल फोन रिचार्ज करने के लिए आया करते थे। कैलाश का पैसा और सोना लूटने के इरादे से वह दुकान के अंदर घुसे और कैलाश चंद पर वार किए जबकि कैलाश का भाई मदन लाल बच गया। मदन लाल ने दुकान के काऊंटर से कूदकर कातिल की बाजू को दांतों से काट लिया और कातिल दांत काटने पर घबरा कर निकल भागा। 

ऐसे तैयार किया कॉस्ट 
फॉरैंसिक एक्सपर्ट डॉ.अमनदीप सिंह ने बताया कि मामले की जांच में जब पता चला कि मदन लाल ने कातिल की बाजू को दांतों से काटा है तो मदन लाल के दांतों के आकार और किस्म को जानने के लिए दांतों के इम्प्रैशन लिए गए। दांतों के इम्प्रैशन के मुताबिक कास्ट बनाया गया ताकि दांतों के पिछले पैटर्न को भी देखा जा सके। जब कातिल की बाजू देखी तो उस पर दांत काटने के निशान थे। निशान की गहराई देखने के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों की रोशनी में कातिल की बाजू की फोटोग्राफ्स ली गई। अल्ट्रावायलेट किरणों में दांत काटने के निशान साफ साफ दिख रहे थे। उसके बाद उन आकारों का मिलान मदन लाल के दांतों के इम्प्रैशन के आकार के साथ किया गया और यह साफ हो गया कि कैलाश चंद पर गोलियों से वार करने वाला कातिल वही था। दांतों में ऐसा फार्मूला है जो कभी नष्ट नहीं हो सकता है। दांतों का आकार, उनकी किस्म और बनावट तब तक नहीं बदलती है जब तक व्यक्ति चोटिल न हो जाए। दांत कई सालों बाद भी बचे रहते हैं। 

बच्चे की गर्भ में हुई मौत या बाद में यह भी बता देते हैं दांत
जी.एम.सी.एच.-32 के फॉरैंसिक डिपार्टमैंट के एच.ओ.डी. प्रो.हरीश दासारी ने कहा कि दांतों के डी.एन.ए. में खजाना मौजूद है। दांत के डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग के दम पर उम्र का सटीक आंकलन किया जा सकता है। ऐसे कई अपराधिक मामले सामने आते हैं जिसमें मुजरिम सजा कम करवाने के लिए खुद की उम्र कम बताता है ऐसे में फॉरैंसिक एक्सपर्ट व्यक्ति की उम्र का सटीक आंकलन करते हैं। पैदा होने से लेकर 22 से 25 साल तक की उम्र का सटीक आंकलन हो सकता है। गर्भस्थ शिशु के दांत चौथे महीने से बनना शुरू होते हैं। दांतों से यह भी पता चल सकता है कि नवजात की मौत जन्म से पहले हुई या जन्म के बाद। 


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