बीमा कम्पनी ने 3 साल घुमाया, अब ब्याज समेत देगी रकम

Sunday, Dec 10, 2017 - 12:01 PM (IST)

रायपुर : एक व्यक्ति ने बीमा कम्पनी से 5 लाख की एक्सीडैंटल पॉलिसी ली थी। दुर्भाग्य से एक दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गई। बीमाधारक की पत्नी ने जब क्लेम प्राप्त करने के लिए आवेदन किया तो बीमा कम्पनी ने यह कहते हुए भुगतान से इंकार कर दिया कि उसने ओरिजनल दस्तावेज जमा नहीं किए। बीमा कम्पनी 3 वर्ष तक उसे कार्यालय के चक्कर लगवाए। विवश होकर हक पाने के लिए उसने उपभोक्ता फोरम की शरण ली। फोरम ने आवेदिका के हक में फैसला सुनाया और ब्याज समेत क्लेम की रकम 2 माह के भीतर देने का आदेश बीमा कम्पनी को दिया।

क्या है मामला
तुलसीनगर निवासी सरस्वती गुप्ता पत्नी स्व. नरेंद्र गुप्ता ने बताया कि उसके पति ने वर्ष 2003 में नैशनल इंश्योरैंस कम्पनी लिमिटेड की कोरबा शाखा से 8 मार्च 2003 से 7 मार्च 2018 के बीच की अवधि के लिए वैध ग्रुप जनता पर्सनल एक्सीडैंट पॉलिसी ली थी। एक दुर्घटना में 29 जून 2012 को उसके पति की मृत्य हो गई। बतौर नॉमिनी उसने इंश्योरैंस कम्पनी के दफ्तर पहुंचकर आवेदन प्रस्तुत किया।

कम्पनी के अफसरों ने उसे यह कहकर लौटा दिया कि उन्होंने मांगे गए दस्तावेजों की वास्तविक प्रति नहीं दी बल्कि फोटोस्टेट कापी प्रस्तुत की है। इस बीच खुद कम्पनी के अफसर ने जांच कर रिपोर्ट में आवेदिका का प्रकरण सही बताया, फिर भी कम्पनी उसे घुमाती रही।

यह कहा फोरम ने
न्यायाधीश सी.एल. पटेल की अध्यक्षता में फोरम सदस्यों सरिता पांडेय व सुरेश कुमार सिंह की मौजूदगी में सरस्वती के पक्ष में फैसला सुनाया। फोरम ने कहा कि जब कम्पनी ने अपनी जांच में सब कुछ सही पाया, तो फिर फोटो कॉपी या मूलप्रति का बहाना क्यों किया जा रहा। फोरम ने अपने फैसले में नैशनल इंश्योरैंस कम्पनी लिमिटेड को आदेश दिया है कि आवेदिका को 2 माह के भीतर बीमा की रकम यानी 5 लाख रुपए का भुगतान करे। इतना ही नहीं, जिस तिथि पर आवेदिका ने फोरम में प्रकरण दर्ज कराया था उस तिथि यानी 15 अक्तूबर 2015 से अब तक का ब्याज 9 प्रतिशत वार्षिक दर से भुगतान करना होगा। इसके साथ ही सरस्वती को मानसिक क्षतिर्पूति के रूप में 25 हजार रुपए तथा वाद खर्च के लिए 2 हजार रुपए का भुगतान भी निर्धारित डैडलाइन के भीतर ही करना होगा।

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