नीट प्रवेश परीक्षा में धांधली की जांच का निर्देश

Saturday, Jan 20, 2018 - 11:48 AM (IST)

नई दिल्ली : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्राइवेट मेडिकल कालेजों के परास्नातक कोर्स की नीट प्रवेश परीक्षा 2017-18 की काउंसिलिंग  के समय की गयी कथित धांधली की जांच का निर्देश दिया है। न्यायालय ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश को दो माह के भीतर जांच पूरी कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। याचीगण का किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ में प्रवेश पत्र जारी हुआ। लेकिन, सीट खाली न होने के कारण समय से प्रवेश नहीं हो सका। न्यायालय ने कहा कि प्रवेश अवधि समाप्त होने के बाद याचियों का पीजी कोर्स में प्रवेश करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। ऐसे में याचीगण हर्जाना पाने के हकदार हैं।

 न्यायालय ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा उ.प्र को आदेश दिया है कि वह चार हफ्ते के भीतर तीन याचियों को 10-10 लाख रूपये बतौर मुआवजा भुगतान करे। साथ ही कहा है कि भविष्य में होने वाली प्रवेश परीक्षा में पहली और दूसरी राउण्ड की काउंसिलिंग  में विन्डो खुली रखी जाए। प्रवेश के लिए छात्रों को स्ट्रीम उच्चीकृत करने की छूट दी जाय। इसके बाद बची सीटें मॉय अप राउण्ड से भरी जाए। योग्य अभ्यर्थियों को पसन्द की सीटें व बेहतर स्ट्रीम में प्रवेश लेने की अनुमति दी जाय।  न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजय भनोट की खण्डपीठ ने कुमारी भावना तिवारी और अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए आज यह आदेश दिया।  याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के ओझा, वरि.अधिवक्ता रविकान्त, महेन्द्र प्रताप सिंह, ए.के सिंह आदि ने बहस की।  गौरतलब है कि पसन्द की सीट विकल्प के आधार पर 80 फीसदी सीटें ब्लॉक कर दी गयी और बाद मेें प्रवेश में कालेजों द्वारा कथित रुप से मनमानी की गयी। काउंसिलिंग  में सफल अभ्यर्थियों को यह कहकर प्रवेश देने से इंकार कर दिया गया कि सीट खाली नहीं है। जिस पर यह याचिकाएं दाखिल की गयी। दूसरे राउण्ड तक तीस फीसदी सीटें भरी थी। 70 फीसदी सीटें मात्र अप राउण्ड में भरी गयी।

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