भारत अपनी सुरक्षा और तरक्की के लिए इसराईल से बहुत कुछ सीख सकता है

Thursday, Jan 18, 2018 - 03:59 AM (IST)

इसराईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों भारत की 6 दिवसीय यात्रा पर हैं। मोदी के इसराईल दौरे के सिर्फ 6 महीने बाद ही यह किसी इसराईली प्रधानमंत्री का पहला दौरा है। दोनों देशों की दोस्ती नया इतिहास लिख रही है। 

भारत और इसराईल के बीच परस्पर सहयोग के 9 करारों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसमें साइबर, सुरक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, हवाई यातायात से लेकर होम्योपैथिक उपचार और अक्षय ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में सहयोग के समझौते शामिल हैं। हालांकि भारत और इसराईल के बीच व्यापारिक रिश्ते पुराने हैं। भारत हर साल करीब एक अरब रुपए का प्रतिरक्षा साजो-सामान इसराईल से खरीदता है। पर पिछले दिनों 2 ऐसी घटनाएं घटी थीं जिनसे यह संदेह हुआ कि कहीं दोनों देशों के बीच ठंडापन न आ जाए। 

पहली घटना थी अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के यरुशलम को इसराईल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के फैसले के खिलाफ भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में मतदान और दूसरी, नेतन्याहू की यात्रा से कुछ ही दिन पहले एंटी टैंक मिसाइल का करार रद्द होना। अच्छी बात है कि इसराईल ने इन्हें दोस्ती के आड़े नहीं आने दिया। नेतन्याहू ने कहा कि भारत के संयुक्त राष्ट्र में वोट देने से दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला। दरअसल भारत जैसे समर्थ राष्ट्र की मैत्री विश्व स्तर पर इसराईल की स्वीकृति को भी और बढ़ाती है। फिलस्तीन के मामले को भारत-इसराईल सम्बन्धों में अलग रखा गया है क्योंकि भारत इसराईल और सहयोग परिषद (जी.सी.सी.) के 6 देशों अरब, यू.ए.ई., कतर, ओमान, बहरीन और कुवैत के साथ रिश्ते मजबूत रखना चाहता है। 

रक्षा और कृषि की दृष्टि से इसराईल की दोस्ती भारत के लिए लम्बे समय से महत्वपूर्ण बनी हुई है। जल प्रबंधन, विज्ञान एवं तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देश एक-दूसरे को सहयोग करते आए हैं। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के चलते भारत में गंभीर जल संकट है। बढ़ती आबादी इसे बद से बदतर कर रही है। ऐसा कोई शहर नहीं है जहां सातों दिन चौबीस घंटे गुणवत्ता वाले पानी की आपूर्ति होती हो। पानी संकट बारहमासी बनता जा रहा है। हमें इस हालात से उबारने में भारत का मित्र देश इसराईल मदद कर सकता है। 

10 वर्ष पहले भारत जैसी ही स्थिति इसराईल की भी थी। लेकिन जल प्रबंधन की प्रभावी तकनीकें अपनाकर उसने खुद को इस संकट से उबार लिया। 10 वर्ष पहले इसराईल में पानी का घोर संकट था। अब चीन, जापान और कनाडा जैसे देश इसराईल से उसकी तकनीक मांग रहे हैं। खारे पानी को पेयजल में बदलने के मामले में इसराईल दुनिया का अग्रणी देश है। ऐसे प्लांट भारत में पहले से हैं, लेकिन इसराईली तकनीक कहीं ज्यादा उन्नत है। इसराईल ने हवा से पानी बनाने की तकनीक पर भी विशेषज्ञता हासिल कर ली है। सौर ऊर्जा का प्रयोग करके यहां हवा की नमी से पीने का पानी बनाया जाता है। भारत और इसराईल दोनों ही हीरा और रक्षा सौदों से आगे आर्थिक सम्बन्ध बनाने की दिशा में हैं। 2016-17 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5.02 अरब डॉलर था जिसमें रक्षा सौदा (अनुमानित सालाना 60 करोड़ डॉलर) नहीं था। कच्चा, गैर-औद्योगिक हीरों का आयात-निर्यात एक अरब डॉलर से ज्यादा रहा था। 

एक राष्ट्र के रूप में वह विकास के जिस स्तर तक पहुंच चुका है, उससे भारत बहुत कुछ सीख सकता है। भविष्य में किसी राष्ट्र की शक्ति उसकी वित्तीय स्थिति पर कम, उसकी मानसिक शक्तियों के बाहुल्य पर अधिक निर्भर करेगी। इस कसौटी पर यदि सब राष्ट्रों को कसा जाए तो इसराईल 21वीं सदी में अपनी मानसिक शक्तियों की अधिकता के कारण सरलता से अपनी समस्याओं का समाधान कर रहा है। इस छोटे से देश में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले 8 विश्वविद्यालय हैं, जो प्रतिभाशाली युवक-युवतियों की खान हैं। इसराईल में शत-प्रतिशत साक्षरता है।-निरंकार सिंह

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