अमरीका में ब्याज दरों में इजाफा, अब भारत के सामने होंगी 4 चुनौतियां

Friday, Dec 15, 2017 - 12:27 PM (IST)

नई दिल्ली : अमरीका के सैंट्रल बैंक फैडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है। इस इजाफे से अमरीका में ब्याज दरें अब 1.25 प्रतिशत से बढ़कर 1.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। अमरीका फैडरल रिजर्व का दावा है कि अमरीकी अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। ब्याज दरों में इजाफे के ऐलान के साथ केन्द्रीय बैंक ने अमरीकी जी.डी.पी. ग्रोथ के अनुमान में भी इजाफा किया है। फैड रिजर्व के मुताबिक अमरीका में जी.डी.पी. ग्रोथ अब 2.1 के पुराने अनुमान से तेज 2.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी।

आर्थिक जानकारों का दावा है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जब ब्याज दरों में बदलाव होता है तो इसके असर से दुनिया की कोई भी अर्थव्यवस्था अछूती नहीं रहती है। खास तौर पर तेज भागने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका अहम असर पडऩे के आसार हैं।

भारत पर असर
अमरीका का रुख कर सकते हैं विदेशी निवेशक
गत एक दशक से अमरीकी अर्थव्यवस्था में संकट के चलते बड़ी संख्या में विदेशी निवेशकों (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने भारत का रुख किया था। अब अमरीकी मौद्रिक नीति के सामान्य होने की स्थिति में जानकारों को उम्मीद है कि विदेशी निवेशक वापस अमरीका का रुख कर सकते हैं। ब्याज दरों में इजाफे से निवेशकों को अमरीका में अधिक सुरक्षा और बेहतर रिटर्न का रास्ता साफ  हो जाएगा।

शेयर बाजार पर असर
भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता एक साल अच्छी उछाल के नाम रहा है। हालांकि इसके लिए भारतीय कम्पनियों की कमाई में इजाफे की जगह वैश्विक निवेशकों का योगदान अहम था। वहीं देश की कई बड़ी कम्पनियों पर पहले से ही केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक का कहर बरपा है। इन कम्पनियों पर बैंकरप्सी का दबाव बना हुआ है। लिहाजा वैश्विक निवेशकों द्वारा अमरीका का रुख करने की स्थिति में भारतीय शेयर बाजार के भी दबाव में रहने की उम्मीद है।

रुपया बनाम डॉलर
डॉलर के मुकाबले रुपए की मजबूत स्थिति पर भी दबाव देखने को मिल सकता है। यदि अमरीका में ब्याज दरों में इजाफे के असर से डॉलर निवेशक बाहर जाने का रुख करते हैं तो बीते कुछ महीनों में रुपए ने डॉलर के मुकाबले अपनी स्थिति को मजबूत किया है लेकिन फैडरल रिजर्व के फैसले से रुपए पर दबाव बढ़ सकता है। वहीं जी.एस.टी. और नोटबंदी के असर से जी.डी.पी. की रफ्तार को पहुंचे नुक्सान का असर भी रुपए पर देखने को मिलेगा जिससे एक बार फिर डॉलर में मजबूती का रुख कायम होने की संभावना है। इनके अलावा, देश में किसान कर्ज माफी से भी कई राज्यों में वित्तीय संचालन की दिक्कतें देखने को मिलेंगी जिसका नकारात्मक असर रुपए पर पडऩे के आसार हैं।

महंगा हो जाएगा विदेशी कर्ज
अमरीका में धीरे-धीरे बढ़ रही ब्याज दर और 2018 में फिर बढ़ौत्तरी के संकेत से साफ  है कि भारत के लिए विदेशी कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। गत कई वर्षों से अमरीका और यूरोप में जारी आॢथक संकट से कई देशों पर कर्ज का बोझ हल्का हुआ था लेकिन अब दोनों जगह मजबूती के संकेत से कई देशों की घरेलू करंसी दबाव में रहेगी जिसके चलते उनके विदेशी कर्ज के बोझ में इजाफे के आसार हैं।  

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