1984 के सिख दंगों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गवाहों के परीक्षण के उचित प्रयास नहीं हुए

Sunday, Jan 21, 2018 - 12:38 AM (IST)

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के 5 मामलों में अभियोजन पक्ष के महत्वपूर्ण गवाहों का परीक्षण करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किये गए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन मामलों में बरी किए गए लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ नये सिरे से मुकदमा चलाने का आदेश दिया जाए।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. ए.म खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने रिकॉर्ड का अवलोकन किया और कहा कि मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह को सिर्फ एकबार तलब किया गया और उपस्थित नहीं होने पर साक्ष्य दर्ज किए जाने की प्रक्रिया बंद कर दी गई। पीठ उच्च न्यायालय के पिछले साल 29 मार्च के आदेश के खिलाफ दिल्ली के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव द्वारा दायर की गई अपील पर सुनवाई कर रही थी।

उच्च न्यायालय ने यादव और सिख विरोधी दंगों के 5 मामलों में बरी किये गए अन्य लोगों को नोटिस जारी किया था। यादव के अतिरिक्त पूर्व पार्षद बलवान खोखर समेत 10 अन्य बरी किए गए लोगों को दिल्ली छावनी क्षेत्र में 1 और 2 नवंबर 1984 को हुई दंगे की घटनाओं के संबंध में दायर शिकायतों पर नोटिस जारी किया गया था। 

उच्च न्यायालय ने उनसे जवाब मांगा था कि क्यों न जिन मामलों में आरोपियों को बरी किया गया उसे दोबारा खोल दिया जाए और उनके खिलाफ नए सिरे से मुकदमा चलाया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा, 'मामले को 21 मार्च को अंतिम निस्तारण के लिए सूचीबद्ध किया जाए। याचिकाकर्ता के वकील उच्च न्यायालय को हमारे आज के आदेश के बारे में सूचित करें।' 

दिल्ली पुलिस की तरफ से अतिरिक्त सलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि सीबीआई मामलों को आगे बढ़ा रही है और एजेंसी को अपील में पक्षकार बनाए जाने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि जांच एजेंसी को याचिका दायर करने दें, जिसमें वह मामले में खुद को पक्षकार के तौर पर शामिल करने की मांग करेगी। दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस. फुल्का ने कहा कि सभी 5 मामलों में आरोपियों को बरी किया गया था क्योंकि इस बात को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए कि महत्वपूर्ण गवाह उपस्थित हों और गवाही दें। 
 

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