"शहर की कानून व्यवस्था खराब, अधिकारी बने मूक दर्शक"

punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 05:36 PM (IST)

चंडीगढ़, (विजय गौड़) : पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने शहर की कानून व्यवस्था पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि शहर की कानून व्यवस्था की स्थिति अपने निचले स्तर पर पहुंच गई है और अधिकारी एवं प्रशासन मूक दर्शक बन कर बैठे हैं। वे लोगों की जरूरतें समझने को तैयार नहीं हैं और शहर और शहर निवासियों के प्रति उनकी उदासीनता शहर के विकास को प्रभावित कर रही है। बसंल ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले चंडीगढ़ प्रशासन को 2014 में भाजपा नेतृत्व द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए अभी काफी काम करने की जरूरत है क्योंकि जो वायदे किए गए थे, उनका एक प्रतिशत भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद कर्मचारियों के लिए आवास योजना का कोई काम नजर नहीं आ रहा है। जरूरत के आधार पर किए गए बदलाव नियमित करने के लिए सी.एच.बी. आवंटितों को भी अधर में ही लटका कर रखा गया है, बल्कि उन पर भारी भरकम जुर्माने लगाए जा रहे हैं। आवासीय प्रॉपर्टीज के लिए कन्र्वजन शुल्क को कई गुणा बढ़ा दिया गया है। एम.एस.एम.ई.डी. अधिनियम भ्रामक ही है।


बिना सोच-विचार के बनाई पार्किंग पॉलिसी
बंसल ने कहा कि बिना सोच-विचार या योजना के पार्किंग पॉलिसी बनाई गई है। नई पार्किंग पॉलिसी में भारी भरकम शुल्क लगाकर वाहन मालिकों से भारी भरकम वसूली का उद्देश्य है न कि उन्हें कोई सुविधा देने का। बंसल ने कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए अधिकतम उम्र की सीमा में वृद्धि की घोषणा की गई थी, लेकिन उसके बाद भी नई नौकरियों के नाम पर कुछ नहीं हुआ है। शहर में लोगों को कोई खास नौकरी नहीं मिली है। पूर्व सांसद ने कम्यूनिटी सैंटर्स में बंद पड़े जिमखानों पर भी गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि खराब रखरखाव या इंस्ट्रक्टर्स को वेतन के भुगतान न होने के कारण वह बंद पड़े हैं। 


गणतंत्र दिवस पर प्रशासन स्वीकार करे नाकामी
पूर्व सांसद ने कहा कि इस गणतंत्र दिवस पर शहर के नाम संबोधन में लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन सभी मोर्चों पर अपनी विफलता और नाकामी को स्वीकार करेगा और अगले 16 माह में हालात ठीक करने के लिए एक व्यावहारिक योजना को तैयार कर उस पर अमल करने का ऐलान करेंगे। उन्होंने कहा कि करदाताओं के पैसे से ऐसी परिसंपत्तियों के निर्माण का क्या फायदा है, अगर उन सुविधाओं का उपयोग ही नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रैजीडैंट वेलफेयर एसोसिएशंस को सैक्टर पार्कों के लिए जिन फं ड्स को देने का वायदा किया गया था, उनका भुगतान भी पूरा नहीं किया जा रहा है। 
 


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