सुबह उठकर न देखें ऐसी वस्तुएं, सारा दिन रहेंगे परेशान

Saturday, Nov 25, 2017 - 10:32 AM (IST)

हर दिन एक नई सुबह से दिन का आगाज होता है। सारा दिन अच्छा गुजरे इसलिए लोग प्रभात में ही शुभता लाने का प्रयास करते हैं। अगर भोर में कुछ बुरा हो जाए तो उसकी नकारात्मकता का प्रभाव सारा दिन रहता है। व्यक्ति अपने दिलों-दिमाग से उस बुरी स्मृति को निकाल नहीं पाता और अपना सारा दिन अनचाही परेशानी में निकाल देता है। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, आंख खुलने के बाद शुभ चीजें देखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है, जिससे दिन अच्छा व्यतित होता है। अशुभ चीजें देखने से बचें, आईए जानें क्या देखने से बचना चाहिए।


कहते हैं सुबह आंख खुलते ही आईना देखना अशुभ होता है। बेडरुम में आईना नहीं रखना चाहिए यदि रखना भी हो तो ऐसे स्थान पर रखें जहां पर उसमें सुबह उठने पर आपकी शक्ल न दिखाई दें अर्थात आईने में बिस्तर का दिखाई देना शुभ नहीं होता। शयन कक्ष में आईना इस प्रकार लगाएं ताकि उस आईने में आपका बैड नजर न आए।आईने पर सारा दिन पर्दा डालकर रखें, अवश्यकता पड़ने पर ही उसे उठाएं।


बिस्तर से नीचे उतरने पर अपनी छाया न देखें, इससे बैड लक में वृद्धि होती है। ध्यान रखें किसी अन्य व्यक्ति की छाया देखना भी शुभ नहीं होता।


घर में जंगली जानवरों खास तौर पर हिंसक पशुओं के चित्र नहीं लगाने चाहिए। इनसे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है अौर पारिवारिक सदस्यों की प्रवृति भी प्रभावित होती है। पारिवारिक सदस्यों के मध्य कलह पैदा होता है अौर उनके मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष बढ़ता है। सुबह-सुबह इनका दर्शन भी अशुभता का संचार करता है।


जब सुबह आप उठें तो सबसे पहले दोनों हाथों की हथेलियों को कुछ क्षण देखकर चेहरे पर तीन चार बार फेरें। हथेली के अग्र भाग में मां लक्ष्मी, मध्य भाग में मां सरस्वती व मूल भाग (मणि बंध) में भगवान विष्णु का स्थान होता है। इसलिए रोज सुबह उठते ही अपनी हथेली देखने से किस्मत चमक जाती है। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति का पूरा दिन अच्छे से गुजरता है अौर सभी कार्य पूर्ण होते है।

कराग्रे वसति लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती कर मूले तू गोविंदा, प्रभाते कर दर्शनम्


प्रतिदिन सुबह शीघ्र उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इससे व्यक्ति को मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।  सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद  'ऊं भास्कराय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन पूजा के बाद अपने कंठ पर लाल चंदन का तिलक लगाएं। 

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