डरा चीन, शाओमी-लेनोवो पर कब्जा कर लेगा भारत!

Tuesday, Jan 23, 2018 - 11:09 AM (IST)

नई दिल्ली : 49 साल पुराने एनेमी प्रॉपर्टी (अमैंडमैंट एंड वैलिडेशन) एक्ट में संशोधन के बाद भारत सरकार 9,400 से ज्यादा संपत्तियां नीलाम करने जा रही है। केन्द्र सरकार के इस कदम से चीन डरा हुआ है।

दरअसल पिछले कुछ सालों में भारत में चीनी निवेश में काफी तेजी आई है। ऐसे में चीन को डर लग रहा है कि युद्ध की स्थिति में भारत कहीं शाओमी और लेनोवो जैसी कम्पनियों की संपत्तियों पर भी कब्जा न कर ले। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि अगर चीन और भारत सैन्य संघर्ष में उलझते हैं तो भारत में कारोबार कर रही चीनी कम्पनियों पर भारत सरकार कब्जा कर सकती है। लेख में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आॢथक सुधारों से भारत निवेश के लिहाज से आकर्षक बन गया है, लेकिन शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन से चीनी निवेशकों में डर की भावना पनप सकती है।

भारत को कानूनी सुधार की जरूरत
लेख के अनुसार अगर शत्रु संपत्ति कानून चीनी निवेशकों में डर पैदा करता है और खुद को निवेश का आकर्षक स्थल बनाने के भारत के प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है तो दूसरी कोशिशें भी बेकार साबित होंगी। निवेशकों का भरोसा दोबारा जीतने के लिए भारत को कानूनी सुधार की जरूरत है। चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों की भारत में छूट गई संपत्ति को जब्त करने को लोग बहुत आराम से चीन के खिलाफ  भारत की शत्रुतापूर्ण कार्रवाई मानेंगे। इससे भारत को मिलने वाले चीनी निवेश को नुक्सान पहुंचेगा।

एनेमी प्रॉपर्टी एक्ट से निवेशकों का विश्वास हिलेगा
लेख में कहा गया है कि हाल ही के वर्षों में स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी शाओमी और कम्प्यूटर निर्माता लेनोवो समेत कई चीनी कंपनियां भारत की ओर आर्किषत हुई हैं। 2016 में चीन का भारत में प्रत्यक्ष निवेश पिछले साल के मुकाबले कथित रूप से कई गुना बढ़ गया। इस निवेश से रोजगार का संकट झेल रहे भारत के युवाओं को नौकरियां मिलीं। हालांकि निवेश बढऩे का मतलब यह नहीं है कि चीनी कंपनियां जोखिमों से अवगत नहीं थीं। चीन के कुछ लोग सीमा विवाद के वक्त भी डर गए थे। भारत अगर चीनी निवेशकों की संपत्ति और उनके लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर उनमें फिर से भरोसा पैदा नहीं कर सका तो एनेमी प्रॉपर्टी एक्ट से निवेशकों का विश्वास हिलेगा।

चीनी नागरिकों की 149 अचल संपत्तियां
साथ ही, चीनी नागरिकों की 149 अचल संपत्तियां पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और दिल्ली सरकारों के अधीन हैं। साल 2008 में किए गए एक सर्वे में पता चला था कि विप्रो, सिप्ला, ए.सी.सी., टाटा और डी.सी.एम. ग्रुप कम्पनी, बॉम्बे बुम्रा ट्रेङ्क्षडग कम्पनी, बल्लारपुर इंडस्ट्रीज, डी.एल.एफ., हिंदुस्तान यूनिलीवर, आई.टी.सी., बजाज इलैक्ट्रिकल्स, इंडिया सीमैंट और आदित्य बिड़ला नुवो जैसी कम्पनियों में शेयर पड़े हैं। 

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