चाणक्य नीति: इन 5 के बीच में से कभी न निकलें

Saturday, Jan 20, 2018 - 04:39 PM (IST)

आर्चाय चाणक्य ने व्यक्ति के सुखी व श्रेष्ठ जीवन के लिए बहुत सी नीतियां बताई हैं। ये नीतियां न केवल प्राचीन समय में बल्कि आज के समय में भी उपयोगी मानी जाती है। यदि इन नीतियों का पालन किया जाए तो इंसान अपनी कई परेशानियों से छुटकारा पा सकता है। जानिए चाणक्य की एक नीति, जिसमें बताया गया है कि व्यक्ति को किन लोगों या चीजों के बीच में से नहीं निकलना चाहिए। 

 

चाणक्य कहते हैं कि-
“विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:।
अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्य च।।“

इस श्लोक में आचार्य ने 5 ऐसे लोग और चीजें बताई हैं जिनके बीच में निकलना नहीं चाहिए। 

 
दो ज्ञानी लोग

जब दो ब्राह्मण या ज्ञानी लोग आपस में बात कर रहे हों तो उनके बीच में से निकलना नहीं चाहिए। एक पुरानी कहावत है ज्ञानी से ज्ञानी मिलें करें ज्ञान की बात। यानी जब दो ज्ञानी लोग मिलते हैं तो वे ज्ञान की बातें ही करते हैं। अत: ऐसे समय में उनकी बातचीत में बाधा उत्पन्न नहीं करना चाहिए।

 

ब्राह्मण और अग्नि
यदि किसी स्थान पर कोई ब्राह्मण अग्नि के पास बैठा हो तो इन दोनों के बीच में से भी नहीं निकलना चाहिए। ऐसी परिस्थिति में यह संभव है कि वह ब्राह्मण हवन या यज्ञ कर रहा हो, जिससे उसमें विघ्न पड़ सकता और पूजन अधूरा रह सकता है।

 

मालिक और नौकर
जब स्वामी और सेवक बातचीत कर रहे हों तो उनके बीच में से भी निकलना नहीं चाहिए। क्योंकि अगर स्वामी अपने सेवक को कोई जरूरी काम समझा रहा होगा तो ऐसे समय पर यदि उनके बीच में निकलेंगे तो मालिक और नौकर के बीच संवाद बाधित हो जाएगा।

 

पति और पत्नी
यदि किसी स्थान पर कोई पति-पत्नी खड़े हों या बैठे हों तो उनके बीच में से नहीं निकलना चाहिए। शास्त्रों में यह अनुचित माना गया है। ऐसा करने पर पति-पत्नी का एकांत भंग होता है।

 
हल और बैल
कहीं हल और बैल, एक साथ दिखाई दें तो उनके बीच में से नहीं निकलना चाहिए। यदि इनके बीच में निकलने का प्रयास किया जाएगा तो चोट लग सकती है। अत: हल और बैल से दूर रहना चाहिए।

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