टिकट के बाद भी 33 घंटे नहीं मिली सीट, अब रेलवे देगा हर्जाना

Tuesday, Jan 23, 2018 - 09:52 AM (IST)

बेंगलूरू: कर्नाटक के मैसूर की एक उपभोक्ता अदालत ने भारतीय रेलवे को एक परिवार को 37,000 रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया है। इस 3 सदस्यीय परिवार की आरक्षित सीटों पर दूसरे यात्रियों ने कब्जा कर लिया था जिससे उन्हें टिकट होने के बाद भी करीब 33 घंटे तक सीट नहीं मिली और उसे बेहद कष्टमय यात्रा करनी पड़ी। इस यात्रा के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य ने 740 रुपए का टिकट लिया था।

क्या है मामला
मैसूर के रहने वाले सिद्धार्थ और उनके परिवार के 2 अन्य सदस्यों ने जयपुर-मैसूर सुपरफास्ट ट्रेन का 25 मई 2017 का टिकट लिया जो उनके लिए बेहद कष्टकारी साबित हुआ। उज्जैन से बैठने के बाद उन्होंने पाया कि जिस एस-5 बोगी में उनकी सीटें थीं, उस पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है। पूरी बोगी भी अनारक्षित लोगों से भरी है। करीब 33 घंटे की यात्रा के दौरान उन्होंने कई बार अपनी सीटें वापस पानी चाहीं लेकिन वे असफल रहे। यहां तक कि उन्होंने टी.टी.ई. और आर.पी.एफ. से भी शिकायत की लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने भारतीय रेलवे की शिकायत के हर साधन का इस्तेमाल किया लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। उन्होंने भोपाल और तेलंगाना के काजीपेट में स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोई भी रेल कर्मचारी उनकी मदद को नहीं आया। रेलवे की इस घटिया सेवा से परेशान परिवार ने उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया।

यह कहा फोरम ने
फोरम ने जुर्माना लगाने के साथ-साथ ड्यूटी पर तैनात टी.टी.ई. और आर.पी.एफ . कर्मचारियों की कड़ी आलोचना की जो यात्रियों की मदद करने में असफल रहे। फोरम ने इसे रेलवे की सेवा में कमी माना और रेलवे को 37,000 रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया।

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