23 राज्यों ने किया  फेल नहीं करने की नीति में संशोधन का समर्थन

Sunday, Jan 21, 2018 - 01:37 PM (IST)

नई दिल्ली : देश के 23 राज्यों ने स्कूलों में पांचवी एवं आठवीं कक्षा में छात्रों को फेल नहीं करने की नीति में संशोधन करने का समर्थन किया है । इनमें से आठ राज्यों ने इस नीति को पूरी तरह वापस लेने के पक्ष में राय जाहिर की है। स्कूलों में फेल नहीं करने की नीति के विषय पर विचार करने के लिये 26 अक्तूबर 2015 को राजस्थान के शिक्षा मंत्री के नेतृत्व में एक उप समिति का गठन किया गया था । इस समिति ने छह से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून के तहत इस नीति से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार किया था ।      

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 15 एवं 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में इस बारे में उप समिति की स्थिति रिपोर्ट पर विचार किया गया था । रिपोर्ट के अनुसार, पांच राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और तेलंगाना ने आरटीई अधिनियम 2009 के तहत फेल नहीं करने की नीति को बनाये रखने की बात कही थी ।जबकि बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और अरूणाचल प्रदेश ने फेल नहीं करने की नीति को वापस लिये जाने पर जोर दिया है । हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम, पुडुचेरी, दिल्ली, ओडिशा, त्रिपुरा, गुजरात, नगालैंड, मध्यप्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, दमन दीव ने इस नीति में संशोधन करने का सुझाव दिया है । अंडमान निकोबार, असम, दादरा नगर हवेली, झारखंड, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय और तमिलनाडु ने इस विषय पर कोई राय नहीं दी ।       

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केब की बैठकों में इस विषय पर चर्चा की गई और इसके अनुरूप छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के प्रावधानों में संशोधन करने का निर्णय किया गया ताकि पांचवी एवं आठवीं कक्षा में नियमित परीक्षा आयोजित की जा सके । प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, अगर कोई बच्चा इस परीक्षा में फेल हो जाता है तब उसे परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा । अगर छात्र दूसरे अवसर में भी फेल हो जाता है तब उपयुक्त सरकार स्कूल को पांचवी या आठवीं कक्षा या दोनों कक्षाओं में ऐसे छात्रों को रोकने की अनुमति दे सकती है । लेकिन किसी भी छात्र को स्कूल से नहीं निकाला जा सकेगा । गौरतलब है कि वर्ष 2010 में यह व्यवस्था की गयी थी कि पांचवीं और आठवीं कक्षा की पढ़ाई में बच्चों को रोका नहीं जायेगा ।  

 

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