उपराष्ट्रपति ने संसदीय व्यवधान के विरूद्ध जनमत तैयार करने के लिए जनांदोलन का किया आह्वान

punjabkesari.in Wednesday, Mar 01, 2023 - 08:26 PM (IST)

बेंगलुरु, एक मार्च (भाषा) संसदीय व्यवधान पर ‘पीड़ा’ व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को लोगों खासकर युवाओं से ‘लोकतंत्र के मंदिर’ में ऐसे आचरण के विरूद्ध माहौल एवं जनमत तैयार करने के लिए जनांदोलन चालाने का आह्वान किया।

उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी अपील गैर दलीय है तथा उसका राजनीति में संबंधित पक्षों से नहीं, बल्कि राष्ट्र के कल्याण से संबंध है।

धनखड़ ने कहा, ‘‘ मैं अपनी पीड़ा भी आपके सामने रखना चाहता हूं। डॉ. आंबेडकर की हमारे संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका थी, संविधान सभा में तीन सालों तक उस पर बहस हुई, चर्चा-परिचर्चा एवं संवाद हुआ। उनके सामने एक मुश्किल भरा काम था , कई विवादास्पद मुद्दे थे, भिन्न-भिन्न राय थी, साझी राय पर पहुंचना मुश्किल था।’’ उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इन सब बातों के बावजूद संविधान सभा में एक भी व्यवधान नहीं हुआ, कोई आसन के सामने नहीं आया, किसी ने नारेबाजी नहीं की, किसी ने तख्तियां नहीं दिखायीं। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जिन्होंने हमें संविधान दिया, उनके द्वारा देश हित में जब इतना बड़ा काम किया जा सका तो फिर, इस बात में क्या कठिनाई है कि हम उन जैसा आचरण नहीं कर पाते हैं। हमें ऐसा करना चाहिए।’’ वह मशहूर शिक्षाविद, परोपकारी, अवसंरचना के दूरदृष्टा, उद्योगपति डॉ. एम एस रमैया के जन्मशती समारोह को संबोधित कर रहे थे। रमैया का देश खासकर कर्नाटक में कई ऐतिहासिक अवसरंचना परियोजनाओं में उल्लेखनीय योगदान रहा है।

धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर वह जो कुछ देखते हैं, वह सभी के लिए चिंता का विषय है क्योंकि राज्यसभा के सत्र के हर मिनट पर करोड़ों रुपये का सरकारी धन व्यय होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ राज्यसभा सरकार, कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने का मंच है लेकिन वहां व्यवधान होता है, सबसे अधिक चिंता की जो बात है, वह यह है कि आपको (लोगों को) उसकी कोई परवाह नहीं है।’’ जनांदोलन को जरूरी बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ राज्यसभा और संसद में हम यह सुनिश्चित करते हैं कि देश का भविष्य सही मार्ग पर हो, इसके लिए हमें अपने आचरण से ऐसी मिसाल कायम करनी होगी जिसे सभी अपने व्यवहार में उतार सके। हम नहीं चाहते हैं कि हमारे लड़के-लड़कियां व्यवधान का नकल करें, शोर-शराबे को एवं तख्तियां दिखाने को सही ठहरायें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, आपसे मेरी अपील है कि माहौल एवं जनमत तैयार कीजिए, उपलब्ध हर साधन का इस्तेमाल कीजिए, ताकि हम अपने सांसदों से मनुहार कर सकें कि लोकतंत्र के मंदिर में हमारा आचरण हमें गौरवान्वित करे, जो देश के विकास के लिए जरूरी है।’’ इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत तथा कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री जे सी मधुस्वामी मौजूद थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि 2047 में भारत को हर क्षेत्र में, चाहे अर्थव्यवस्था है या कोई अन्य क्षेत्र, विश्व नेता के रूप में शिखर पर पहुंचना है, तबतक हर साल ‘‘आपको चौकस रहना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे पक्का यकीन है कि मेरे युवा दोस्त मेरी अपील पर ध्यान देंगे जो गैर दलीय है और राजनीति के संबंधित पक्षों से परे है। मेरी अपील इसलिए है क्योंकि हम देश के विकास, शासन में पक्षकार हैं , ताकि डॉ आंबेडकर द्वारा प्रदत्त संविधान की प्रस्तावना को साकार किया जा सके।’’ उपराष्ट्रपति की टिप्पणी हाल में संसद के हंगामेदार रहने के आलोक में आयी है। अडाणी समूह के बारे में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति की मांग समेत विभिन्न मुद्दों पर संसद में व्यवधान पैदा किया गया।

अवसंरचना एवं प्रौद्योगिकी तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मोर्चों पर भारत द्वारा आर्थिक रूप से हासिल की गयी उपलब्धियों की चर्चा करते हुए धनखड़ ने सवाल किया, ‘‘ हम क्यों कुछ लोगों को अपने मेहनतकश लोगों की उपलब्धियों पर दाग लगाने, उसे कमतर आंकने, नीचा दिखाने दें? मैं आपसे इसपर सोचने का आह्वान करता हूं...।’’ उन्होंने कहा कि भारत जिस प्रगति पथ पर है , वैसा पहले कभी नहीं था ओर देश के अभ्युदय को रोक पाना संभव नहीं है, समूची दुनिया उसे स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय सभी स्तरों पर दूरदृष्टिपूर्ण कदमों एवं ठोस सरकारी नीतियों को जाता है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस दशक के बीतने के साथ हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे।

उन्होंने सभी से भारतीय होने पर गर्व करने, देश को सर्वोपरि रखने और देश की उपलब्धियों पर गर्व करने करने का आह्वान किया।

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