कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी
punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 04:03 PM (IST)
बेंगलुरु , 31 जनवरी (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार सभी गांवों और कस्बों में कब्रिस्तान के लिए भूमि उपलब्ध कराने के उसके आदेश को दो हफ्तों के अंदर लागू करने में नाकाम रहती है, तो वह मुख्य सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना कार्यवाही शुरू करने को मजबूर हो जाएगा।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ मोहम्मद इकबाल नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर दीवानी अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार 2019 में जारी उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने में नाकाम रही है। उच्च न्यायालय ने उसे सभी गांवों में छह हफ्तों के अंदर कब्रिस्तान के लिए भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
सितंबर 2022 में, राज्य सरकार ने एक अनुपालन रिपोर्ट में उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने कब्रिस्तान के लिए 23,815 से अधिक भूखंड स्थानीय प्राधिकारों को सौंपे हैं और इस तरह के 3,765 भूखंडों को सौंपा जाना अभी लंबित है।
सरकार 516 स्थानों पर कब्रिस्तान के लिए भूखंड चिन्हित करने और खरीदने की प्रक्रिया में भी जुटी हुई है, जहां कोई सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं है।
मंगलवार को राज्य सरकार ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए और दो हफ्तों का वक्त मांगा।
न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति के. एस. हेमलेखा की पीठ ने हालांकि यह उल्लेख किया कि उन्होंने राज्य सरकार को अदालत के आदेश का क्रियान्वयन करने के लिए पर्याप्त समय दिया था।
अदालत ने कहा कि यदि उसके आदेशों का क्रियान्वयन दो हफ्तों के अंदर नहीं किया गया, तो मुख्य सचिव को सुनवाई की अगली तारीख सात फरवरी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना पड़ेगा और वह अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ मोहम्मद इकबाल नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर दीवानी अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार 2019 में जारी उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने में नाकाम रही है। उच्च न्यायालय ने उसे सभी गांवों में छह हफ्तों के अंदर कब्रिस्तान के लिए भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
सितंबर 2022 में, राज्य सरकार ने एक अनुपालन रिपोर्ट में उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने कब्रिस्तान के लिए 23,815 से अधिक भूखंड स्थानीय प्राधिकारों को सौंपे हैं और इस तरह के 3,765 भूखंडों को सौंपा जाना अभी लंबित है।
सरकार 516 स्थानों पर कब्रिस्तान के लिए भूखंड चिन्हित करने और खरीदने की प्रक्रिया में भी जुटी हुई है, जहां कोई सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं है।
मंगलवार को राज्य सरकार ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए और दो हफ्तों का वक्त मांगा।
न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति के. एस. हेमलेखा की पीठ ने हालांकि यह उल्लेख किया कि उन्होंने राज्य सरकार को अदालत के आदेश का क्रियान्वयन करने के लिए पर्याप्त समय दिया था।
अदालत ने कहा कि यदि उसके आदेशों का क्रियान्वयन दो हफ्तों के अंदर नहीं किया गया, तो मुख्य सचिव को सुनवाई की अगली तारीख सात फरवरी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना पड़ेगा और वह अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी।
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