राष्ट्र विरोधी समूहों के लिए एक संदेश है पीएफआई पर प्रतिबंध: बोम्मई
punjabkesari.in Wednesday, Sep 28, 2022 - 05:50 PM (IST)
बेंगलुरु, 28 सितंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि इस कदम से सभी ‘‘राष्ट्र विरोधी तत्वों’’ को यह संदेश जाएगा कि इस देश में उनके लिए कोई जगह नहीं है।
पीएफआई पर आतंकी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। बोम्मई ने कहा कि राज्य में पीएफआई की गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, ‘‘इस देश के लोगों और विपक्षी दलों मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों की ओर से लंबे समय से यह मांग की जा रही थी। पीएफआई, सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) और केएफडी (कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी) का अवतार है। ये राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और हिंसा में लिप्त थे।’’
बोम्मई ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पीएफआई के आका देश के बाहर हैं और उसके कुछ पदाधिकारी प्रशिक्षण लेने के लिए सीमापार तक जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएफआई सभी तरह की असामाजिक गतिविधियों में शामिल रहने वाला संगठन है और इस पर प्रतिबंध लगाने का समय आ गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसकी पृष्ठभूमि को लेकर बहुत काम किया गया, सूचनाएं एकत्र की गईं और मामला बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत सरकार ने सही निर्णय लिया है।’’
बोम्मई ने कहा, ‘‘यह सभी राष्ट्र विरोधी समूहों के लिए एक संदेश है कि इस देश में उनके लिए कोई जगह नहीं है। मैं लोगों से भी आग्रह करता हूं कि वे ऐसे संगठनों से ना जुड़ें।’’
कर्नाटक में पीएफआई के मजबूत होने और उसके लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में बोम्मई ने कहा, ‘‘जो कुछ भी जरूरी होगा वह किया जाएगा।’’
केंद्र सरकार ने एक कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके कई सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। उन पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ "संबंध" होने का आरोप है।
प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया जताते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि वह भी समाज में शांति भंग कर रहा है।
हालांकि, मुख्यमंत्री बोम्मई ने यह कहते हुए पलटवार किया कि इस तरह के बयान पीएफआई के साथ कांग्रेस के ‘‘संबंध’’ को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि जब सिद्धरमैया मुख्यमंत्री थे, तब पीएफआई से संबंधित मामले वापस ले लिए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘क्या आपको इसके लिए और सबूत चाहिए?’’
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘जो लोग कानून के खिलाफ काम करते हैं, समाज में शांति भंग करते हैं, अगर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो हम इसके खिलाफ नहीं हैं। उसी तरह, आरएसएस भी समाज में शांति भंग कर रहा है, इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।’’
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सद्भाव बिगाड़ने और नफरत फैलाने वाले किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
भाजपा के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि उसने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब तक, उन्होंने (पीएफआई) पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया था? हमारे दबाव के बाद उन्होंने ऐसा किया है।’’
मुख्यमंत्री बोम्मई ने सिद्धरमैया की टिप्पणी को महज राजनीतिक बयानबाजी और अर्थहीन बताते हुए कहा कि आरएसएस एक देशभक्त संगठन है, जो समाज के कमजोर और दलित वर्गों के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘सिद्धरमैया को ऐसी बातें कहनी हैं..हर चीज को उन्हें आरएसएस से जोड़ना है। आरएसएस का नाम लिए बिना सिद्धरमैया की राजनीति नहीं है। आरएसएस पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाना चाहिए? क्या उन्हें देशभक्ति के काम के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए? केवल राजनीति के लिए इस तरह के बयान देना सही नहीं है।’’
पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए, गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि यह देश की एकता और अखंडता के लिए और शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक सही कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में एनआईए और कई राज्यों की पुलिस ने उसके कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ छापेमारी की थी और सबूत जुटाए थे। ऐसे कट्टरपंथी संगठन युवाओं के एक वर्ग को देश के खिलाफ भड़का रहे थे।’’
मंगलवार को आठ घंटे तक चले अभियान में, कर्नाटक पुलिस ने 80 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें ज्यादातर पीएफआई और इसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के पदाधिकारी और सदस्य थे। यह कार्रवाई राज्य भर से खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी कि वे समाज में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा महासचिव सी टी रवि ने इस कदम के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि ‘‘पीएफआई को कांग्रेस ने पोषित किया।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘घरेलू आतंकवाद के खिलाफ एक बड़े कदम के तहत, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कांग्रेस द्वारा पोषित पीएफआई के खिलाफ यह निर्णायक कार्रवाई करने के लिए बधाई।’’
पीएफआई-संबद्ध सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इस बारे में पूछने पर मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि आने वाले दिनों में केंद्र इस पर फैसला करेगा।
बोम्मई ने कहा, ‘‘अब, हमने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है, एसडीपीआई पर नहीं। एसडीपीआई एक पंजीकृत राजनीतिक दल है, इसे प्रतिबंधित करने के लिए अलग नियम और कानून हैं। जब स्थिति आएगी, तो केंद्र फैसला करेगा।’’
कांग्रेस विधायक तनवीर सैत द्वारा पीएफआई पर प्रतिबंध को ‘‘राजनीतिक हथकंडा’’ कहे जाने पर बोम्मई ने कहा, ‘‘पीएफआई द्वारा सैत की हत्या का प्रयास किया गया था। उन्होंने तब कहा था कि पीएफआई एक बड़ा दुश्मन है और परेशानी उत्पन्न कर रहा था और इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अब राजनीति के लिए वह ऐसी बातें बोल रहे हैं।’’
राज्य के ऊर्जा, कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री वी सुनील कुमार ने प्रतिबंध का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को साहसिक कदम उठाने के लिए बधाई दी। उडुपी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पीएफआई कर्नाटक सहित देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़का रहा था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
पीएफआई पर आतंकी गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। बोम्मई ने कहा कि राज्य में पीएफआई की गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, ‘‘इस देश के लोगों और विपक्षी दलों मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों की ओर से लंबे समय से यह मांग की जा रही थी। पीएफआई, सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) और केएफडी (कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी) का अवतार है। ये राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और हिंसा में लिप्त थे।’’
बोम्मई ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पीएफआई के आका देश के बाहर हैं और उसके कुछ पदाधिकारी प्रशिक्षण लेने के लिए सीमापार तक जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएफआई सभी तरह की असामाजिक गतिविधियों में शामिल रहने वाला संगठन है और इस पर प्रतिबंध लगाने का समय आ गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसकी पृष्ठभूमि को लेकर बहुत काम किया गया, सूचनाएं एकत्र की गईं और मामला बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत सरकार ने सही निर्णय लिया है।’’
बोम्मई ने कहा, ‘‘यह सभी राष्ट्र विरोधी समूहों के लिए एक संदेश है कि इस देश में उनके लिए कोई जगह नहीं है। मैं लोगों से भी आग्रह करता हूं कि वे ऐसे संगठनों से ना जुड़ें।’’
कर्नाटक में पीएफआई के मजबूत होने और उसके लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में बोम्मई ने कहा, ‘‘जो कुछ भी जरूरी होगा वह किया जाएगा।’’
केंद्र सरकार ने एक कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके कई सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। उन पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ "संबंध" होने का आरोप है।
प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया जताते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि वह भी समाज में शांति भंग कर रहा है।
हालांकि, मुख्यमंत्री बोम्मई ने यह कहते हुए पलटवार किया कि इस तरह के बयान पीएफआई के साथ कांग्रेस के ‘‘संबंध’’ को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि जब सिद्धरमैया मुख्यमंत्री थे, तब पीएफआई से संबंधित मामले वापस ले लिए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘क्या आपको इसके लिए और सबूत चाहिए?’’
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘जो लोग कानून के खिलाफ काम करते हैं, समाज में शांति भंग करते हैं, अगर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो हम इसके खिलाफ नहीं हैं। उसी तरह, आरएसएस भी समाज में शांति भंग कर रहा है, इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।’’
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सद्भाव बिगाड़ने और नफरत फैलाने वाले किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
भाजपा के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि उसने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब तक, उन्होंने (पीएफआई) पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया था? हमारे दबाव के बाद उन्होंने ऐसा किया है।’’
मुख्यमंत्री बोम्मई ने सिद्धरमैया की टिप्पणी को महज राजनीतिक बयानबाजी और अर्थहीन बताते हुए कहा कि आरएसएस एक देशभक्त संगठन है, जो समाज के कमजोर और दलित वर्गों के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘सिद्धरमैया को ऐसी बातें कहनी हैं..हर चीज को उन्हें आरएसएस से जोड़ना है। आरएसएस का नाम लिए बिना सिद्धरमैया की राजनीति नहीं है। आरएसएस पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाना चाहिए? क्या उन्हें देशभक्ति के काम के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए? केवल राजनीति के लिए इस तरह के बयान देना सही नहीं है।’’
पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए, गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि यह देश की एकता और अखंडता के लिए और शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक सही कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में एनआईए और कई राज्यों की पुलिस ने उसके कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ छापेमारी की थी और सबूत जुटाए थे। ऐसे कट्टरपंथी संगठन युवाओं के एक वर्ग को देश के खिलाफ भड़का रहे थे।’’
मंगलवार को आठ घंटे तक चले अभियान में, कर्नाटक पुलिस ने 80 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें ज्यादातर पीएफआई और इसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के पदाधिकारी और सदस्य थे। यह कार्रवाई राज्य भर से खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी कि वे समाज में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा महासचिव सी टी रवि ने इस कदम के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि ‘‘पीएफआई को कांग्रेस ने पोषित किया।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘घरेलू आतंकवाद के खिलाफ एक बड़े कदम के तहत, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कांग्रेस द्वारा पोषित पीएफआई के खिलाफ यह निर्णायक कार्रवाई करने के लिए बधाई।’’
पीएफआई-संबद्ध सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इस बारे में पूछने पर मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि आने वाले दिनों में केंद्र इस पर फैसला करेगा।
बोम्मई ने कहा, ‘‘अब, हमने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है, एसडीपीआई पर नहीं। एसडीपीआई एक पंजीकृत राजनीतिक दल है, इसे प्रतिबंधित करने के लिए अलग नियम और कानून हैं। जब स्थिति आएगी, तो केंद्र फैसला करेगा।’’
कांग्रेस विधायक तनवीर सैत द्वारा पीएफआई पर प्रतिबंध को ‘‘राजनीतिक हथकंडा’’ कहे जाने पर बोम्मई ने कहा, ‘‘पीएफआई द्वारा सैत की हत्या का प्रयास किया गया था। उन्होंने तब कहा था कि पीएफआई एक बड़ा दुश्मन है और परेशानी उत्पन्न कर रहा था और इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अब राजनीति के लिए वह ऐसी बातें बोल रहे हैं।’’
राज्य के ऊर्जा, कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री वी सुनील कुमार ने प्रतिबंध का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को साहसिक कदम उठाने के लिए बधाई दी। उडुपी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पीएफआई कर्नाटक सहित देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़का रहा था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।