कर्नाटक के गृह मंत्री ने टीपू मस्जिद में हनुमान की पूजा की मांग पर हिंदू संगठन को चेतावनी दी

punjabkesari.in Tuesday, May 17, 2022 - 08:50 PM (IST)

बेंगलुरु, 17 मई (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।

ज्ञानेंद्र की यह प्रतिक्रिया एक संगठन ‘नरेंद्र मोदी विचार मंच’ (एनएमवीएम) के उन दावों के बाद आई है जिसमें संगठन ने कहा था कि मांड्या जिले के श्रीरंगपटना में मस्जिद-ए-अला एक हनुमान मंदिर था और उन्हें वहां पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

संगठन ने 13 मई को मांड्या के उपायुक्त से संपर्क किया था और दावा किया था कि मस्जिद-ए-अला ‘मूडला बगिलु अंजनेया स्वामी मंदिर’ था, जिसे 18वीं शताब्दी के मैसूर शासक टीपू सुल्तान ने नष्ट कर दिया था और वहां पर मस्जिद बनाई थी। संगठन के सचिव सी टी मंजूनाथ के नेतृत्व में संगठन ने मांग की कि हिंदुओं को मस्जिद के अंदर हनुमान की पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ज्ञानेंद्र ने कहा कि उन्हें घटनाक्रम की जानकारी है और लोगों से आह्वान किया कि वे इस विवाद को अपने मुताबिक सुलझाने के लिए कानून-व्यवस्था को चुनौती न दें। उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई कानून-व्यवस्था को चुनौती देता है तो उससे उसी के मुताबिक निपटा जाएगा। इसलिए सभी को सौहार्दपूर्ण तरीके से रहना चाहिए। हम अदालत के आदेश का पालन करेंगे।’’
मांड्या के उपायुक्त को अपनी याचिका में मंजूनाथ ने कहा कि कई इतिहासकारों ने मूडला बगिलु अंजनेया स्वामी मंदिर के अस्तित्व का दस्तावेजीकरण किया है, जिसे टीपू सुल्तान ने कथित तौर पर अपने शासन के दौरान नष्ट कर दिया था और एक मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘लुइस राइस के मैसूर गजेटियर, शाही दरबार की कार्यवाही, महाराजा का जीवन, तारिख-ए-टीपू और हैदर-ए-निशानी तथा टीपू द्वारा फारस के खलीफा को लिखा गया पत्र, हमारी बात को साबित करता है।’’ मंजूनाथ ने उपायुक्त को अपनी याचिका में लिखा, ‘‘इसलिए, हम आपसे पुरातत्व विभाग के दस्तावेजों की समीक्षा करने और हिंदुओं के लिए मूडला बगिलु अंजनेया स्वामी मंदिर (मौजूदा मस्जिद) में कानूनी तौर पर पूजा करने का प्रावधान करने का अनुरोध करते हैं।’’
बाद में, मीडिया घरानों को जारी वीडियो में एनएमवीएम के एक सदस्य ने मांग की कि सच्चाई का पता लगाने के लिए मस्जिद-ए-अला में ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।



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PTI News Agency

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