उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक व्यक्ति को सात साल की सजा सुनाई

punjabkesari.in Monday, May 16, 2022 - 10:00 AM (IST)

बेंगलुरु, 14 मई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने सहित अपराध के अन्य मामलों में निचली अदालत द्वारा वर्ष 2011 में बरी किए गए एक व्यक्ति को दोषी पाया है। न्यायालय ने उसे 11 साल बाद सात साल कारावास की सजा सुनाई है।

एक त्वरित अदालत (फास्ट ट्रैक कोर्ट) ने 2011 में कोल्लेगला में आत्महत्या के लिए उकसाने, जानबूझकर अपमान करने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और एक महिला का शील भंग करने के मामलों में शांता उर्फ शांतासेट्टी को बरी कर दिया था।

महिला ने 12 जून 2008 को गांव के इस व्यक्ति से झगड़े के बाद खुद को आग लगा ली थी।

उच्च न्यायालय ने पांच मई को दिये अपने आदेश में कहा कि निचली अदालत स्वतंत्र गवाहों का मूल्यांकन करने में विफल रही।

उच्च न्यायालय ने ने शांतासेट्टी को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए सात साल के साधारण कारावास, जानबूझकर अपमान करने के लिए एक साल की कैद, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए एक साल की कैद और एक महिला का शील भंग करने के लिए चार साल की कैद की सजा सुनाई।

न्यायालय ने कहा, ‘‘ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।’’
गौरतलब है कि पीड़िता और शांतासेट्टी कोल्लेगल के कुंथुरमोले गांव के रहने वाले हैं। पीड़िता का पहले शांतासेट्टी की पत्नी से झगड़ा हुआ था। इसी बात को लेकर शांताशेट्टी ने पीड़िता से मारपीट की। इसके बाद महिला ने खुद को आग लगा ली। पीड़िता का पति ग्रामीणों की मदद से उसे अस्पताल ले गया और 17 जून, 2008 को उसकी मौत हो गई।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News