16 सितंबर से पितृपक्ष आरंभ: शास्त्रों के अनुसार करें श्राद्ध, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद

Monday, Sep 12, 2016 - 11:30 AM (IST)

शास्त्रों के अनुसार पितरों के चरणों में स्वर्ग है- जिसने इस बात को जान लिया है वह सदा ही न केवल अपने घर के बुजुर्गों का आदर-सम्मान करता है बल्कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए विधिवत श्राद्ध कर्म करके उनका अनमोल आशीर्वाद प्राप्त करता है।
 
स्कंद पुराण के अनुसार पितरों के आशीर्वाद से कुछ भी असम्भव नहीं है जहां पितरों की पूजा होती है वहां देवताओं का वास है। माता-पिता की सेवा करने वाले पुत्र पर भगवान विष्णु की अपार कृपा सदा बनी रहती है। पुत्रों के लिए माता-पिता से बढ़कर दूसरा कोई तीर्थ नहीं। जो सच्ची भावना से अपने पितरों के निमित्त विधिवत श्राद्ध करते हैं उनके घर में आयु, संतान सुख, समृद्धि एवं खुशहाली बनी रहती है। उनके घर में धन वैभव बना रहता है। वह कभी क्रोध नहीं करते तथा संयम से प्रत्येक कार्य करते हैं। उनके किसी भी कार्य में कभी कोई रुकावट नहीं आती।   
 
इसे ब्राह्मण या किसी सुयोग्य कर्मकांडी द्वारा करवाया जा सकता है। आप स्वयं भी कर सकते हैं। ये सामग्री ले लें- सर्प-सर्पिणी का जोड़ा, चावल, काले तिल, सफेद वस्त्र,11 सुपारी, दूध, जल, तथा माला।
  
पूर्व या दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें। सफेद कपड़े पर सामग्री रखें। 108 बार माला से जाप करें या सुख शांति, समद्धि प्रदान करने तथा संकट दूर करने की क्षमा याचना सहित पितरों से प्रार्थना करें। जल में तिल डाल कर 7 बार अंजलि दें। शेष सामग्री को पोटली में बांध कर प्रवाहित कर दें। हलवा, खीर, भोजन आदि ब्राह्मण, निर्धन, गाय, कुत्ते, पक्षी को दें। 
 
श्राद्ध के ये मुख्य कर्म अवश्य करने चाहिएं :  
* तर्पण
 
* दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पितरों को नित्य अर्पित करें, 
 
* पिंडदान-चावल या जौ के पिंडदान करके भूखों को भोजन दें। 
 
* निर्धनों को वस्त्र दें।
 
दक्षिणा : भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं मिलता। पूर्वजों के नाम पर कोई भी सामाजिक कृत्य जैसे -शिक्षा दान, रक्त दान, भोजन दान, वृक्षारोपण चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए। 
Advertising