हाथों की लकीरों से ही नहीं पैरों से भी जाना जा सकता है भाग्य

Tuesday, May 31, 2016 - 08:09 AM (IST)

प्राचीन ऋषि-महाऋर्षियों के निरंतर चिंतन-मनन और तप साधना द्वारा सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष ग्रंथों का निर्माण हुआ। इन ग्रंथों के निर्माण का मूल उद्देश्य जनहित रहा है और उनकी निवृत्ति विभिन्न उपायों द्वारा संभव है।  अत: यहां अरुण संहिता ग्रंथ का सारांश सामुद्रिक शास्त्र के अंतर्गत प्रस्तुत है : 
 
 
पैरों की उंगलियां और उनका फल : पैरों के निचले हिस्से में एड़ी से निकल कर रेखा अंगूठे तक चली जाए तो सवारी का सुख (वाहन सुख) मिलता है। अगर बायां पैर दाएं पैर से बड़ा हो तो व्यक्ति एक जगह नहीं टिकता है। अंगूठा और तर्जनी आपस में मिलते हों तो भाग्य मंदा होता है। अंगूठा छोटा और तर्जनी बड़ी हो तो पहले लड़के या लड़की का सुख नहीं मिलता। अंगूठा और तर्जनी बराबर हों तो ऐसा जातक प्रसन्नता से रहने वाला तथा समृद्ध होता है। 
 
 
अंगूठा बड़ा और तर्जनी छोटी हो ऐसा जातक दूसरे का गुलाम होता है। तर्जनी मध्यमा से बड़ी हो ऐसे जातक की स्त्री गरीब परिवार की होती है तथा जातक को उससे सुख नहीं मिलता। तर्जनी मध्यमा से छोटी हो तो स्त्री का सुख मिलता है। तर्जनी मध्यमा से बहुत छोटी हो तो ऐसे जातक को स्त्री का सुख कम मिलता है। अनामिका मध्यमा से छोटी हो तो ऐसे जातक को स्त्री सुख कम मिलता है। कनिष्ठिका अनामिका से बड़ी हो तो ऐसे जातक का भाग्य अच्छा होता है।
 
 
कनिष्ठिका अनामिका से बहुत बड़ी हो तो ऐसे जातक का भाग्य मंदा होता है। कनिष्ठिका अनामिका से छोटी हो तो ऐसे जातक का भाग्य शुभ होता है। कनिष्ठिका अनामिका के बराबर हो तो ऐसे जातक को संतान का सुख मिलता है, परंतु ऐसे जातक की आयु कम होती है। पांचों उंगलियां बराबर हों, ऐसा जातक अफसरशाही स्वभाव वाला होता है तथा पांचों उंगलियां एक-दूसरे से लम्बी हों तो जातक को संतान सुख अच्छा मिलता है।
 

पांव की उंगलियों के नाखून : नाखून सुर्ख तांबे के रंग के हों तो राजा के समान या अधिकारी वर्ग की श्रेणी वाला होता है। यदि नाखून नीले रंग के हों तो ऐसे जातक भी अच्छी श्रेणी में आते हैं। पीले रंग के नाखून हों तो दीवान श्रेणी के अंतर्गत अर्थात अच्छी श्रेणी के जातक होते हैं। यदि नाखून स्याह रंग के हों तो ऐसे जातक निम्र श्रेणी में आते हैं। ऐसे जातकों का भाग्य भी मंदा होता है।  
 
 

—पं. कमल राधा कृष्ण श्रीमाली 

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