गणेश उत्सव विशेष: दर्शन करें गणपति के 12 अद्भुत रूपों के, अड़चनों और संकटों से छुटकारा पाएं

Tuesday, Sep 22, 2015 - 03:50 PM (IST)

भगवान गणपति का स्वरूप अत्यंत मनोहर एवं मंगलदायक है। वह एकदंत और चतुर्बाहु हैं। वह अपने चारों हाथों में पाश, अंकुश, दंत और वरमुद्रा धारण करते हैं। उनके ध्वज में मूषक का चिन्ह है। वे रक्तवर्ण,  लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा रक्त वस्त्रधारी हैं। अपने स्वजनों, उपासकों पर कृपा करने के लिए वह साकार हो जाते हैं। भक्तों की कामना पूर्ण करने वाले, ज्योतिर्मय, जगत के कारण अच्युत तथा प्रकृति और पुरुष से परे हैं। वह पुरुषोत्तम सृष्टि के आदि में आविर्भूत हुए।

भगवान श्रीगणेश उमा-महेश्वर के पुत्र हैं। वह अग्रपूज्य हैं, गणों के ईश हैं, स्वस्तिक रूप हैं तथा प्रणवरूप हैं। उनके अनंत नामों में सुमुख, एकदंत, कपिल (जिनके श्रीविग्रह से नीले और पीले वर्ण की आभा का प्रसार होता रहता है), गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र तथा गजानन ये बारह नाम अत्यंत प्रसिद्ध हैं। इन नामों का पाठ अथवा श्रवण किसी भी संकट के समय किया जा सकता है। विद्या, धन, संतान और स्वास्थ्य के इच्छुक जातको की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली अड़चनों और संकटों से छुटकारा मिलता है।

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