कुछ बातों का रखें ध्यान, मां अन्नपूर्णा और लक्ष्मी आपका घर छोड़कर कभी नहीं जाएंगी

Saturday, Apr 09, 2016 - 02:39 PM (IST)

शास्त्रों के अनुसार अन्न में अन्नपूर्णा मां का वास माना गया है। सनातन धर्म में कोई भी हिंदू भोजन खाने से पहले उसे प्रणाम करता है। ताकि जो भोजन करने जा रहे हैं, वह स्वास्थ्य के लिए हितकर हो। फिर अन्नपूर्णा मां को भोजन के लिए धन्यवाद देता है की पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए आपका आभार। 

प्राचीन परम्परा के अनुसार खाना हमेशा जमीन पर पालथी मारकर ही खाना चाहिए।  ऐसा करने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों में भी राहत मिलती है। खड़े होकर अथवा मेज कुर्सी पर बैठकर खाना खाने से शरीर में अनेक विकार पैदा हो जाते हैं। इस बात को हमेशा याद रखें कि भोजन करने के बाद क्रोध नहीं करना चाहिए और न ही भोजन के तुरंत बाद व्यायाम करना चाहिए, इससे स्वास्थ्य को नुकसान होता है।

खाना खाने से पूर्व हाथ अच्छी तरह धोएं, नाखून काट कर रखें। हिंदू धर्म के अनुसार मानव शरीर वायु, अग्नि, जल, आकाश और पृथ्वी से मिलकर बना है और हाथों की अंगुलियां इन तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। जब इन पांचों तत्वों के माध्यम से भोजन ग्रहण किया जाता है अर्थात चम्मच की बजाय हाथ से खाना खाया जाता है तो ये हमारे खाने में अवशोषित होकर हमें निरोगी बनाते हैं।

धर्म शास्त्रों के मतानुसार भोजन करने से पूर्व भोजन मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। मंत्र की शक्ति से भोजन हमें पूरी ऊर्जा देता है। पाचन तंत्र को भी शक्ति मिलती है।

भोजन मंत्र

ऊं सहनाववतु, सहनौ भुनक्तु सह वीर्यम् करवाव है

तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषाव है।

ऊँ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।

सनातन धर्म में भोजन ग्रहण करने से पूर्व उसका कुछ भाग अपने इष्ट को समर्पित करने का विधान है। घर-परिवार में पकने वाले भोजन का पहला ग्रास अग्नि को दूसरा गाय को तीसरा अपने इष्ट को और चौथा कुत्ते को समर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से घर में मां अन्नपूर्णा संग लक्ष्मी जी वास करती हैं और समस्त देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शास्त्रों में विधान है कि घर की महिला पहले भोजन पारिवारिक सदस्यों को खिलाए फिर स्वयं ग्रहण करे।

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