कौन हैं चंपई सोरेन? बनेंगे झारखंड के नए मुख्यमंत्री
punjabkesari.in Wednesday, Jan 31, 2024 - 09:54 PM (IST)

नेशनल डेस्कः हेमंत सोरेन ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इसके साथ ही सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने नए मुख्यमंत्री के रूप में वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का नाम प्रस्तावित किया। भूमि घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगभग सात घंटे तक पूछताछ किए जाने के बाद सोरेन ने राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंप दिया। जिस राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है।
इसके साथ ही झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन होंगे। ‘झारखंड टाइगर’ के रूप से चर्चित चंपई सोरेन 1991 से लेकर अब तक लगातार विधायक है। चंपई सोरेन सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। पांचवीं बार सरायकेला से निर्वाचित चंपई सोरेन हेमंत सोरेन कैबिनेट में कल्याण और परिवहन मंत्री भी थे। इससे पहले वे अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं। झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शामिल चंपई सोरेन का जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन से काफी पुराना संबंध रहा है। यही कारण है कि हेमंत सोरेन ने त्यागपत्र देने के बाद अपने परिवार के बाहर चंपई सोरेन के नाम का प्रस्ताव किया। जिसके बाद सत्तापक्ष के सभी सदस्यों ने अपनी सहमति दी।
11 नवंबर 1956 में जन्मे चंपई सोरेन का पैतृक गांव सरायकेला-खरसावां जिले का जिलिंगगौड़ा है। उनके पिता सिमाल सोरेन और मां मादो सोरेन गृहिणी थीं। चंपई सोरेन विवाहित है। वहीं चंपई सोरेन की पत्नी मानको सोरेन राजनीति से दूर है। जबकि चंपई सोरेन के सात बच्चे है। उनका कृषि मुख्य पेशा है।
चंपई सोरेन की शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक है, इसके बाद वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। चंपई सोरेन राजनीति में अपना आदर्श शिबू सोरेन को ही मानते हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन के उम्मीदवार थे। लेकिन चुनाव नहीं जीत सके।
चंपई सोरेन’ झारखंड टाइगर के रूप में मशहूर
1990 के दशक में अलग झारखंड राज्य की लड़ाई जब जोर पकड़ी तो चंपई सोरेन ने शिबू सोरेन के साथ मिलकर जोरदार आंदोलन चलाया। जल्द ही वे पूरे कोल्हान क्षेत्र में ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से मशहूर हो गए। इसके बाद चंपई सोरेन ने अपनी सरायकेला सीट से उपचुनाव में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राजनीतिक करियर का आगाज किया। इसके बाद वे झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए।