उच्चतम न्यायालय के फैसले से जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के साथ होने वाला भेदभाव होगा समाप्त

punjabkesari.in Wednesday, Aug 23, 2017 - 10:44 AM (IST)

श्रीनगर: 3 तलाक के विषय पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सामान्य रूप से बड़े स्तर पर स्वागत किया जा रहा है और साथ ही जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने का अनुरोध किया जा रहा है, क्योंकि देश के अंदर विशेष दर्जा रखने वाले इस राज्य की अगर कोई महिला राज्य के बाहर देश के किसी अन्य भाग में विवाह करती है तो जम्मू-कश्मीर में उसकी नागरिकता तक के अधिकार एक तरह से वंचित होकर रह जाते हैं।

 

 

महिला कल्याण समिति के प्रधान विजय राजे पठानिया ने कहा है कि 3 तलाक की प्रथा एक प्रकार से अमानवीय थी, जिसे न्यायालयों ने भी माना है। उन्होंने कहा कि और भी कई कुरीतियां समाज में थीं जिनका समय के साथ अंत हो चुका है जिनमें सती प्रथा तथा बाल विवाह जैसी कई बुराइयां शामिल थीं, जिनका तो सुधार हुआ, लेकिन कुछ कट्टरपंथी 3 तलाक को एक बड़ा मुद्दा बनाए बैठे थे। नारी समाज संगठन की प्रधान रश्मि भगत ने न्यायालय के निर्णय को एक अच्छा और उल्लेखनीय पग कहते हुए इस बात पर बल दिया है कि जम्मू-कश्मीर से बाहर विवाह करने वाली युवतियों के साथ किए जाने वाले अन्याय का भी अंत होना चाहिए। 


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