कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से जुड़ी जानकारी साझा करें: आर.पी. सिंह
punjabkesari.in Friday, Aug 11, 2023 - 12:36 PM (IST)

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 34 वर्ष बाद कश्मीरी हिंदू नरसंहार के मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया है। दोबारा खोले जा रहे मामलों में पहला केस रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू की हत्या से जुड़ा है जिनकी निर्मम हत्या यासीन मलिक के जे. के. एल. एफ. आतंकवादियों ने 4 नवंबर 1989 को श्रीनगर में दिनदहाड़े करदी थी। जज गंजू ने जे. के. एल. एफ आतंकी मकबूल बट को फांसी की सजा सुनाई थी। यह सजा ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक रवींद्र महात्रे की हत्या का दोषी करार दिए जाने के बाद दी गई थी।
आर.पी. सिंह ने कश्मीरियों पंडितों व मुस्लिमों से 1989-90 में हुए नरसंहरा की जानकारी साझा करने तथा गवाही देने के लिए आगे आने की अपील करते हुए कहा कि इस अवसर को हाथ से जाने नहीं दिया जाए। इससे पूर्व आर.पी. सिंह ने जम्मू के रिटायर्ड ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता के साथ मिलकर एक ज्ञापन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भेजा जिसमें इस मामले में प्रक्रिया शीघ्रातिशीघ्र आरंभ करने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने कहा कि विलंब करने से हो सकता है कि जो लोग इस रक्तरंजित और गर्हित घटनाओं के चश्मदीद गवाह हैं, वे कुछ पश्चात उपलब्ध ही न हो पाएं। इससे जांच आयोग प्रत्यक्षदर्शी विवरण प्राप्त 'करने से वंचित रह सकता है। आर. पी. सिंह ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को धार्मिक आतंकवाद का निशाना बनाया गया जो धीरे-धीरे पाकिस्तान की सहायता से जेहाद में परिवर्तित हो गया। आज स्थिति यह है कि जो कश्मीर के मूल निवासी थे, वे आज अपनी पूर्वजों की भूमि पर है ही नहीं। हमारा मानना है इससे पूर्व, नरसंहार के दोषी आज तक नहीं लाए गए हैं।
भाजपा नेता ने बड़ा प्रश्न यह कि क्या कश्मीरी पंडितो 'देशनिकाला' के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार हैं, नहीं। समय सत्तारूढ़ फारूक अब्दुल्ल उनकी नैशनल कांफ्रैंस की भूमि भी संदिग्ध है। नैशनल कांफ्रेंस व फा की भूमिका को लेकर फुसफुसा तो होती है परंतु उन्हें अभी तक जांच के घेरे में नहीं लाया गया। आर. पी. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी स्वीकार किया है कि आतंकियों ने कश्मीर पंडितों का जातीय सफाया किया जिसे नरसंहार से कम नहीं माना जा सकता है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस नरसंहार के पीछे देश के भीतर मौजूद तत्वों का पता लगाने के लिए सरकार जांच करवाए ताकि जम्मू-कश्मीर की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का फर्दाफाश किया जा सके।