सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आरोपों पर नहीं हो रही कारवाई

Tuesday, Apr 25, 2017 - 04:03 PM (IST)

श्रीनगर : सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के ज्यादातर मामलों में पुलिस विभाग की ओर से प्रारंभिक जांच शुरू नहीं कई गई है। यह मामले साल 2014 से राज्य सतर्कता संगठन (एस.वी.ओ.) की तरफ से "जांच के तहत" ही बताए जा रहे हैं। आधिकारिक दस्तावेज बताते हैं कि 2014 से विभिन्न विभागों के अधिकारियों के खिलाफ 122 मामले दर्ज किए गए थे और 30 से कम मामले वास्तव में चालान किए गए, जबकि शेष की 'जांच' ही चल रही है। इनमें से कम से कम 25 पुलिस अधिकारियों में डिप्टी एसपी, निरीक्षक, उप निरीक्षकों और कांस्टेबल शामिल थे, जिन पर रिश्वत लेने के आरोप के अलावा गलत एफ.आई.आर दर्ज करने और अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग करने के केस दर्ज किए गए हैं। हालांकि, इनमें से अधिकतर मामलों को प्रारंभिक जांच से आगे ही नहीं बढ़ाया गया, लेकिन फिर भी विभाग द्वारा "कार्रवाई की रिपोर्ट" की प्रतीक्षा की जा रही है, जबकि आरोपी अपनी स्थिति में सेवा जारी रखे हुए है।

 

जांच के समय आरोपी नहीं कर रहे सहयोग 

एस.वी.ओ. के अंदरूनी सूत्रों ने के.आर. को बताया कि जांच के दौरान शेष मामलों के पीछे मुख्य कारण यह है कि इन विभागों में आरोपी जांच के समय अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के लिए आधिकारिक कहते हैं कि कई अफसरों पर गलत तरीके से आरोप लगाने वालों का ट्रैक रिकॉर्ड प्राप्त करने में समस्याएं आती हैं। एक ऐसा ही मामला 2015 में सतर्कता संगठन द्वारा मनीष अग्रवाल, डीआईएसपी रामनाथन, उधमपुर, और कांस्टेबल युधिवीर सिंह के खिलाफ दर्ज किया गया है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार मामला, "शिकायतकर्ता के रिहा होने के बदले रिश्वत की जबरन वसूली व उनके पुत्र के खिलाफ दर्ज आत्महत्या का मामला था। 

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