महबूबा मुफ्ती की मां को पासपोर्ट जारी करने से अधिकारी का इनकार, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार- मनमर्जी नहीं चलेगी
punjabkesari.in Sunday, Jan 01, 2023 - 04:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती की मां को पासपोर्ट जारी करने से मना करने पर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि पासपोर्ट अधिकारी CID के ‘‘प्रवक्ता की तरह व्यवहार नहीं कर सकता।'' न्यायमूर्ति एम. ए. चौधरी ने महबूबा की मां गुलशन नजीर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पासपोर्ट जारी करने या इसके नवीनीकरण के उनके अनुरोध को खारिज करने का कोई आधार नहीं है। न्यायाधीश ने शनिवार को सुनाए अपने फैसले में कहा, “याचिकाकर्ता के खिलाफ रत्ती भर भी ऐसे आरोप नहीं है जो किसी सुरक्षा चिंता की ओर इशारा करते हों।
CID-CIK द्वारा तैयार की गई पुलिस सत्यापन रिपोर्ट में पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6 के वैधानिक प्रावधानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।” न्यायाधीश ने कहा, “याचिकाकर्ता के संबंध में एकमात्र पहलू उनकी ओर से अलग से या महबूबा मुफ्ती के साथ संयुक्त बैंक खातों से हुए कुछ लेनदेन की जांच के संदर्भ में दो एजेंसियों-प्रवर्तन निदेशालय और CID-CIK द्वारा की गई जांच है।” अदालत ने कहा कि पासपोर्ट अधिकारी द्वारा पासपोर्ट जारी करने से मना करना “सोच-समझ कर फैसला नहीं लेना” है। अदालत ने कहा, “कम से कम, पासपोर्ट अधिकारी को यदि आवश्यक हो तो तथ्यों व परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में पुलिस व CID से यह पूछना चाहिए कि क्या याचिकाकर्ता के खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल है।”
CID रिपोर्ट और संदर्भित तथ्यों व परिस्थितियों पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा, “पासपोर्ट अधिकारी CID के प्रवक्ता के तौर पर काम नहीं कर सकता।” अदालत ने कहा, ‘‘जब एक प्राधिकार को शक्ति दी गई है तब इसका उपयोग न्यायपूर्ण तरीके से होना चाहिए और मनमाने तरीके से नहीं, जैसा कि इस मामले में किया गया।'' अदालत ने कहा कि खुद के 80 वर्ष से अधिक उम्र का होने का दावा करने वाली याचिकाकर्ता को किसी प्रतिकूल सुरक्षा रिपोर्ट के अभाव में भारतीय नागरिक के तौर पर विदेश यात्रा के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उन्हें प्रदत्त मूल अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने उक्त आदेश को निरस्त कर दिया और पासपोर्ट अधिकारी को नए सिरे से पूरे विषय पर विचार करने तथा फैसले की प्रति उन्हें तामील किए जाने की तारीख से छह हफ्तों के अंदर आदेश जारी करने को कहा।